फर्जी पत्रकार जैसा कुछ नहीं होता, या तो पत्रकार होता है या पत्रकार नहीं होता है, बस।
फर्जी पत्रकारों पर हो रही चर्चा इन दिनों सुर्खियों में है तो बता दूं कि ऐसा कुछ होता ही नहीं है, मतलब फर्जी पत्रकार नहीं होते हैं या तो पत्रकार होते हैं, जी हां सिर्फ और सिर्फ पत्रकार होते हैं या पत्रकार नहीं होते हैं बस, ये फर्जी शब्द के फर्जीवाड़े का पत्रकारों के साथ कब, क्यों और किसने घालमेल कर दिया रामजाने, अभी मुद्दा सुर्खियों में है तो बात लाजिमी है। कुतर्क सहित व्यर्थ बहस ना करते बस इतना जान लीजिए......... कि अपने देश में नियमानुसार भारत सरकार के आरएनआई विभाग द्वारा रजिस्ट्रेशन प्राप्त समाचार पत्र के स्वामी और उनके द्वारा अधिकारिक रूप से अधिकृत व्यक्ति तथा प्रसार भारती के कतिपय नुमाइंदों को (शर्त पाबंदी अनुसार) वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट 1955 एवं अन्य के आधार पर कानूनन पत्रकार माना जाता है, अन्य में कुछेक जो स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता कर्म में संलग्न है, वे फ्री लांस या कहें स्वतंत्र पत्रकार के रूप में, और अब तकनीकी विकास के साथ बन गये इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में पत्रकारिता कर्म करने वाले बतौर पत्रकार सहज स्वीकार्य किये जाते हैं, परन्तु ये वैधानिक रूप में पत्रकार मान्य नह...