मत चुके चौहान !.... अंगुल अष्ट प्रमाण के साथ बता लक्ष्य , किया आव्हान, बिठा चिड़िया, कर संधान.......मत चुके चौहान .....
बात पत्रकारों के हित की ही कर रहा हूं माननीय, उन्हीं पत्रकारों के हित कि जो आम अवाम से मिलने वाले भावनात्मक मान सम्मान और आदर के साथ उनके, उन पर, विश्वास को ही अपनी कमाई तथा पारिश्रमिक मान इसे ही अपने संपूर्ण जीवन की पूंजी के रूप में सहेजते है, आज भी, और आज भी हर और से हताश, लाचार, बेबस और परेशान आम जन, पत्रकारों की और ही आशा भरी याचना पूर्ण नजरों से देखता है, उन्हें विश्वास है कि ये कलम के सिपाही समाज के इन तथाकथित रहनुमाओ के इस भ्रष्ट सडांध मारते, सडते गलते, कुचक्र के चक्रव्यूह से हमें निजात दिलवाऐगे,..... चाहें हर वर्ग, हर वर्ण, हर स्तम्भ पाप कर्म में लिप्त हो जाए, लेकिन ये नारद पुत्र न्याय की अलख जलाऐ ही रखेंगे, परन्तु इनमें घुसपैठ बना चुके कुछ जयचंदो के कारण ये कलम कभी कभी सुल्तान की बांदी बन जाती है, और फिर संघर्ष और साहस की नीतिगत सोच के साथ कुछ चंदबरदाई सरीखे सर्वस्व समर्पण भाव के साथ कलम के मान सम्मान स्वाभिमान को आजाद कराते हैं। वर्तमान में जो विश्वव्यापी महामारी की आपदा आई है उसमें भी ये पत्रकारों का वर्ग अपने उत्तरदायित्व का गरिमा और सम्मान के साथ किसी भी हद तक ज...