रेमडेसिवीर को जब डब्ल्यू एच ओ खारिज कर चुका तो भी इतनी मच मच क्यों, कोविड-19 के लिए प्रभावी नहीं रेमडेसिवीर, ये आपदा में अवसर तो नहीं ?

 कोरोना संक्रमण की शुरूआत के बाद से ही इसके इलाज और रोकथाम के लिए चिकित्सा जगत में चिंता के साथ परीक्षण और अन्वेषण शुरू हो गये थे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोविड-19 के इलाज में चार ख़ास दवाएं कितनी कारगर हैं इसे लेकर विस्तृत परीक्षण किया था और बता दें कि रेमडेसिवीर वो पहली दवा थी जिसे कोरोना के इलाज के लिए सबसे पहले ट्राई किया गया था. इसे तात्कालिक अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इलाज में भी इस्तेमाल किया गया था।
BBC News की वेबसाइट पर की खबर के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रेमडेसिवीर और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) समेत चार दवाओं को कोरोना वायरस संक्रमित मरीज़ों के इलाज में बहुत कम प्रभावी बताया है
बता दे कि यह रिपोर्ट और डब्ल्यू एच ओ के परीक्षण परिणाम अक्टूबर 2020 मतलब आज से तकरीबन

 


छ माह पूर्व के ही हैं।
बीबीसी की खबर के अनुसार ही रेमडेसिवीर की निर्माता कंपनी गिलिएड ने डब्ल्यूएचओ के अध्ययन में आए परिणामों को खारिज किया है.
गिलिएड ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि अध्ययन के निष्कर्ष दूसरे अध्ययनों से मेल नहीं खाते और इन परिणामों की समीक्षा किया जाना बाकी है।
बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि
क्या कहता है डब्ल्यूएचओ का अध्ययन रेमडेसिवीर और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन ट्रायल पर -
डब्ल्यूएचओ ने सॉलिडैरिटी ट्रॉयल के दौरान कुल चार दवाओं का परीक्षण किया. जिनमें रेमडेसिवीर, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन, ऑटो-इम्यून ड्रग इंटरफ़ेरॉन और एचआईवी की दवाओं का संयोजन लोपिनावीर और रिटोनावीर शामिल हैं।
30 अलग-अलग देशों के 500 अस्पतालों में 11,266 वयस्क मरीज़ों इन चार दवाओं का परीक्षण किया गया था. डब्ल्यूएचओ के नतीजों में पाया गया है कि ये दवाएं मरीजों की जान बचाने और संक्रमण के दिनों को कम करने में भी कारगर साबित नहीं हुई हैं. हालांकि, इन नतीज़ों की अभी भी समीक्षा किया जाना बाकी है।
डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने बुधवार को कहा कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और लोपिनावीर और रिटोनावीर दवाओं का परीक्षण जून में ही रोक दिया गया था क्योंकि वो पहले ही अप्रभावी साबित हो गई थीं. हालांकि, अन्य दवाओं पर परीक्षण जारी रखे गए थे.
डब्ल्यू एच ओ के इस परीक्षण परिणामों पर गिलिएड की प्रतिक्रिया बीबीसी ने कुछ यूं बताई है -
गिलिएड सांइसेज़ ने डब्ल्यूएचओ के नतीजों को खारिज करते हुए कहा है, ''ये डाटा असंगत लग रहा है. रेमडेसिवीर के फायदे कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके आक्समिक और नियंत्रित अध्ययनों से मिले ज़्यादा ठोस प्रमाणों से प्रमाणित होते हैं। हमें चिंता है कि ये ओपन (खुले) लेबल वाला वैश्विक परीक्षण प्राप्त डेटा कठोर समीक्षा से नहीं गुजरा है जो कि इस तरह की उपयोगी वैज्ञानिक चर्चा के लिए ज़रूरी है। अमरीका में एक मई से आपातकालीन स्थिति में रेमडेसिवीर के इस्तेमाल की अनुमति दी गई है. इसके बाद कई और देशों में भी इसके इस्तेमाल को मंज़ूरी दे दी गई थी। वहीं हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए डॉक्टर के निर्देश पर इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, ये कितनी कारगर है इसका भी अब तक कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है.
हालांकि रेमडेसिवीर को लेकर किये गये डब्ल्यू एच ओ के परीक्षण दावो के प्रकाशन की बीबीसी की इस रिपोर्ट और उस पर रेमडेसिवीर निर्माता कंपनी की प्रतिक्रिया के बाद अभी तक डब्ल्यू एच ओ के तरफ से कुछ नये परीक्षण परिणाम इस परिप्रेक्ष्य में नही आए हैं।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल भी अब यहीं आता है कि जब मानक स्तर पर है ही नही जो दवाई अर्थात मरीज को उस दवाई से मर्ज में उतना आराम ही नही मिलना तो फि क्यों मारामारी मचा रखी इसके लिए, केमिस्ट की दुकानों पर बेतहाशा भीड, उस पर  कालाबाजारी भी हो रही इसकी, और नेताओं को इसकी उपलब्धता के लिए नेतागिरी का मौका मिल रहा वे अलग इसे मुद्दा बना अपनी नेता गिरी चमकाने में लगे, माना कि नेताओं को ज्ञान नही इतने पढें लिखे वे नही पर मेडीकल प्रोफेशनल को तो पूरी जानकारी है वे क्यों प्रिस्क्राइब कर रहे ये मेडिसिन डब्ल्यू एच ओ की तो हर अपडेट से वे वाकिफ रहते हैं इंटरनेट के जरिए कहीं कोई बड़ा खेल कोरोना महामारी की आड़ में इन फार्मा कम्पनियों और मेडिकल प्रोफेशनल के बीच का तो नहीं, जनता तो वैसे ही त्रस्त हो त्राहिमाम कर रहीं, चिकित्सा जगत में मची लूट खसोट की खबरो से सोशल साइट्स पटी पडीं है, प्रतीत तो ऐसा ही हो रहा कि इन दोनों ने इस आपदा में भरपूर अवसर तलाश लिया प्रशासन की कार्रवाई भी उसे इससे अलग नही करती है तो क्या लेगा कोई सुध निरीह लाचार बेबस जनता की या सभी आपदा को अवसर बनाने की जुगत में ही लगे रहेंगें। 

चलते चलते यह भी कि यदि आप बीबीसी की वह रिपोर्ट भी पढना चाहते तो कमेंट में अपना ईमेल लिख दीजिए भेज दी जाएगी।

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