102 वर्षीय बुजुर्ग दुलीचंद का कहना अभी जिंदा हूं मैं, सरकारी अफसर कह रहे जिंदा होने का कागज दिखाओ।
सरकारी बाबूगिरी सिस्टम की एक शर्मसार करने वाली घटना में हरियाणा सरकार समाज कल्याण विभाग ने एक सौ दो वर्षीय जिंदा दुलीचंद को मरा हुआ बता उनकी सामाजिक सुरक्षा पेंशन बंद कर दी। परेशान दुलीचंद पिछले 6 महीने से अपनी बंद पेंशन बहाल कराने के लिए ऑफिसों के चक्कर पे चक्कर लगा रहे थे, जब उनकी सुनवाई नहीं हुई तो परेशान होकर उन्होंने इस गूंगे बहरे अंधे सिस्टम के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने का अनोखा तरीका निकाला। दुलीचंद जी गाजे-बाजे के साथ घोड़ा बग्घी पर बैठकर अपने जिंदा होने का प्रमाण देने कार्यालय पहुंचें।
हरियाणा के रोहतक जिले के गांव गांधरा निवासी 102 वर्षीय दुलीचंद को हरियाणा सरकार ने मृत घोषित करके उनकी वृद्धावस्था पेंशन बंद कर दी। उनकी अंतिम पेंशन फरवरी माह की 2 मार्च को आई थी। इसके बाद अभी तक पेंशन नहीं मिली। पेंशन के लिए दुलीचन्द जी ने तकरीबन सभी छोटे बड़े अधिकारियों से गुहार लगाई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जब कहीं सुनवाई नहीं हुई तो दुलीचंद ने खुद को जिंदा साबित करने के लिए अनोखा तरीका अपनाया। बुधवार को दुलीचंद बैंड बाजे के साथ बग्गी में बैठकर दूल्हे के गेटअप में डीसी ऑफिस पहुंचे। इस दौरान दुलीचंद के हाथों में तख्ती पर लिखा था- 'थारा फूफा अभी जिंदा है। रेस्ट हाउस पहुंचने पर बुजुर्ग दुलीचंद को पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर ने आश्वासन दिलाया कि उनकी समस्या का समाधान जल्दी करा दिया जाएगा। बुजुर्ग दुलीचंद ने आप नेता नवीन जयहिंद के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। जिसमें दुलीचंद ने कहा कि मैं अभी जिंदा हूं, मरा नहीं हूं। बुजुर्ग दुलीचंद ने बताया कि मेरी उम्र 102 साल है। लेकिन समाज कल्याण विभाग ने मुझे मरा हुआ बता कर मेरी सामाजिक सुरक्षा पेंशन बंद कर दी । दुलीचंद ने कहा कि पेंशन दोबारा से शुरू करवा ने के लिए कई दिन से ऑफिस के चक्कर लगा रहा है। लेकिन कोई भी सुनता नहीं है। ऑफिसर एक दूसरे के आफिस भेज रहे हैं। अधिकारी कहते है की जिंदा होने का कोई कागज तो दिखाओ।
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