मिच्छामि दुक्कडं और खमत खामणा में क्या फर्क है ? क्षमापर्व के लिए कौनसा शब्द उपयुक्त है कृपया विचार करे। एक जैन धर्मावलंबी की फेसबुक अपील।

प्रश्न:-  मिच्छामि दुक्कडं और खमत खामणा में क्या फर्क है ?
उत्तर:-
• मिच्छामी दुक्कडं अर्थात मेरा पाप निष्फल हो ।
• खमत खमणा :- आपको खमाता हूँ अर्थात आपसे क्षमा चाहता हूँ ।
• आजकल खमत खामणा के अवसर पर शास्त्र विरुद्ध प्रचलन देखा जा रहा है ।
• खमत खामणा" की जगह "मिच्छामि दुक्कड़म्" का प्रयोग हो रहा है
यह गलत है, अज्ञान है । 

 

• लीक से हटकर कुछ करने की इच्छा है, और जो कुछ भी नया चलन में आता दिखे उसकी नकल करने की प्रवृत्ति है।
"मिच्छा मि दुक्कड़म्" और "खमत खामणा", दोनों जैन दर्शन के शब्द हैं, लेकिन दोनों समान अर्थ वाले पर्यायवाची वाक्यांश नहीं हैं। दोनों के अर्थ बिल्कुल अलग हैं।
• "मिच्छा मि दुक्कड़म्" का अर्थ है - मेरा यह पाप दुष्कृत्य मिथ्या हो, निष्फल हो ।
इसका प्रयोग तभी होता है, जब आपको पता हो कि आप से क्या भूल हुई है।
उस पाप भूल को निष्फल करने के लिए "मिच्छा मि दुक्कड़म्" का प्रयोग होता है।
इसमें ना तो क्षमा मांगी जा रही है, ना ही क्षमा दी जा रही है।
मात्र अपने पाप दुष्कृत्य को निष्फल करने की कामना और पश्चाताप भाव लिए होता है "मिच्छा मि दुक्कड़म्"।
यह कहीं भी खमत खामना के मूल भाव के आसपास भी नहीं ठहरता।
"खमत खामणा"  का अर्थ क्षमा मांगना भी है और क्षमा देना भी है।
 "खमत खामणा" मैं दोनों क्रियाएं एक साथ हो जाती हैं।
"खमत खामणा" में सरल मन से अपनी ज्ञात और अज्ञात भूलों, दुष्प्रवृत्तियों और दुष्कृत्यों के लिए क्षमा याचना भी है,  और यदि किसी की किसी बात से ठेस लगी हो, तो उसे भुलाकर, उसके बिना मांगे क्षमा कर देने का भाव भी है।
"मिच्छा मि दुक्कड़म्" में इसका पूर्ण अभाव है।
 जैन दर्शन के अनुरूप सही शब्दावली का प्रयोग करेंगे और केवल आकर्षक शब्दों के जाल में आकर भेड़ चाल में नहीं बहेंगे ।
सभी को सादर जय जिनेंद्र
अपील - 
पर्यूषण पर्व में मैंने और मेरे परिवार जनों ने मेरे जैनी साथियों ने जिस गलती को वर्षों से दोहरा रहे थे उसको पूर्ण रूप से ठीक कर दिया है अब आप सब को भी इस पर विचार करना चाहिए......
फेसबुक पोस्ट से।

 


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