बिक कर लिखते हैं पत्रकार - पहले बिक कर छप रहे अखबार अब बिक कर लिखते पत्रकार ।
जो कभी छप कर बिकते थे वे अब बिक कर छप रहे हैं अखबार .... चंद वर्ष पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर की पहचान वाले, राज्य स्तर पर प्रकाशित अखबार को, राष्ट्रीय स्तर के प्रकाशन समूह द्वारा खरीद, उसका प्रकाशन जारी रहने पर यह जुमला पत्रकारिता जगत में बहुत सुर्खियों में रहा था....कि बिक कर छप रहे अखबार.. और आज भी यदा कदा इसको कहीं कहीं पत्रकारों द्वारा "फिट" किया जाता रहता है.... परन्तु अब इसी कड़ी में एक और जुमला कि क्या "बिक कर लिखते हैं पत्रकार" पत्रकारिता जगत में सुर्खियां बटोरने को लालायित हो रहा है.... मध्यप्रदेश के एक वरिष्ठ और मीडिया सुर्खियों में रहने वाले मंत्रीजी के बड़े भाईसाहब के कथन का विडियो वायरल होने के बाद,....
देखिए विडियो 👇यहां क्लिक कर
तो पहले विडियो की चर्चा करते हैं इसमें मध्यप्रदेश के उर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के बड़े भाई देवेंद्र सिंह तोमर दीवाली मिलन के लिए आए..... या यूं कहे बुलवाये गये पत्रकारों को...... समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि मेरे पास लिस्ट आई और उसी के अनुसार लिफाफे तथा मिठाई के डिब्बे भी आए जो मैने आपको शुभकामनाएँ सहित दिये या यूं कहे वितरित किए।..... बड़े तोमर साहब का स्पष्ट स्पष्टीकरण है विडियो में और बवाल की जड़ भी यहीं स्पष्टीकरण बन रहा..... कि लिस्ट में कुछ पत्रकारों को शामिल ही नहीं किया गया है जबकि पहले शायद वे भी ऐसी लिस्ट में शामिल रहते आए हो,...... उनका यही कहना था कि हम भी तो आए है.. और आए हैं तो देओ लेकर ही जाऐगे...... उधर मंत्रीजी के भाईसाहब अपनी मजबूरी बता रहे कि पत्रकारों की लिस्ट... और उसी के हिसाब से सामान आया वो मैंने दिया बाकी आप लोगों का तो मैं सम्मान कर ही रहा हूं..... बस पत्रकारों के इसी सम्मान बवाल का किसी दिलजले पत्रकार ने विडियो बना पत्रकारों के ग्रुप में भेज दिया जहां से वो वायरल हो रहा और पत्रकारिता जगत में ये जुमला उछल रहा कि क्या बिक कर लिखते है पत्रकार....

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