एसएसपी का आपरेशन ए रिश्वत, एस पी ने दिया अंजाम, पकड़ाया हेड कांस्टेबल तो इंस्पेक्टर फरार।
न फरियादी, न ही आरोपी और तो और अपराध भी नहीं हुआ चिन्हित, पर रिश्वतखोरी शुरू हो गई।
मामला ट्रक कटान का, ट्रक मालिक इमरान व ट्रक ड्राइवर अब्दुल कलाम पहुंचे थाने, ट्रक कटान आरोपी वकार को भी बुलवाया गया थाने, ए एस पी सूरज राय की समक्ष हाजिरी में हुई प्रारंभिक पूछताछ, ए एस पी ने निर्देश दिया, अभी कोई अपराध नहीं बनता पूरी तहकीकात कर पहले अपराध पंजीबद्ध करने और फिर गिरफ्तारी कार्यवाही करे, बस इसके बाद ही इंस्पेक्टर का रिश्वत का खेल शुरू हो गया, कुल जमा चार लाख की शुरुआती मांग चली गई, तीन लाख ट्रक मालिक और ड्राइवर को छोड़ने के और एक लाख कटान आरोपी वकार को छोड़ने के लिए, जबकि न अपराध न फरियादी और न ही आरोपी अभी तक निश्चित हुआ है।
पुलिसवालों की रिश्वतखोरी में अति कर देने की खबरें एसएसपी प्रभाकर चौधरी के पास लगातार आ रही थी और विभाग को बदनामी और थू थू से बचाने के लिए एसएसपी अपना मन बना चुके और सतत निगरानी करवाने लगे, ऐसे में सदर बाजार थाने में चलने वाले रिश्वतखोरी के इस खेल की भनक एसएसपी को लग गई और शुरू हुआ एसएसपी का "आपरेशन-ए-रिश्वत" और फिर उन्होंने अपनी स्पेशल टीम तैनात कर रिश्वतखोर पुलिसवालों को पकड़ने के लिए बिछाया जाल, बस फिर क्या था मेरठ में एसएसपी प्रभाकर चौधरी के बिछाए जाल में हेड कांस्टेबल और इंस्पेक्टर फंस गए।
ऐसे चला एसएसपी का आपरेशन ए रिश्वत -
एसएसपी प्रभाकर चौधरी के मोबाइल पर एक काल आईं थी, कालर ने सूचना दी कि ट्रक कटान के फर्जी मुकदमे में सदर बाजार पुलिस ने मोटी रकम की वसूली कर ली है। वसूली की कुछ रकम उधार की गई हैं, जिसे फिर दो दिन बाद दिया जाएगा। एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने इस कार्य के लिए एसपी सिटी विनीत भटनागर को लगा दिया। एसपी सिटी ने नियत दिन को सुबह से ही सदर बाजार थाने के आसपास अपनी टीम को लगा दिया और वहीं एसपी सिटी खुद आफिस में बैठकर टीम से लगातार अपडेट लेते रहे। करीब शाम को चार बजे मुजफ्फरनगर के खतौली निवासी वकार सदर बाजार थाने के बाहर पहुंचा, वकार ने हेडकांस्टेबल मनमोहन को मोबाइल से काल की। मनमोहन ने वकार को बताया कि सदर बाजार थाने से चंद कदमों की दूरी पर डाकखाना हैं, वहां पर मिलें। मनमोहन से पहले वकार डाकघर पर पहुंच गया । उसके बाद बाइक पर सवार होकर मनमोहन डाकघर पर पहुंचा । उससे पहले एसपी सिटी की टीम डाकघर के आसपास ही छिपकर बैठी चुकी थी और जैसे ही वकार मनमोहन को 30 हजार की बकाया रकम देने के बाद वहां से लौट रहा था तभी एसपी सिटी की टीम ने वकार और मनमोहन दोनों को पकड़ लिया। मनमोहन की तलाशी ली गई, उसकी जेब से 30 हजार की रकम बरामद हुई। मनमोहन से रकम के बारे में जानकारी ली गई। वह कोई जवाब नहीं दे पाया। उसके बाद पुलिस की टीम मनमोहन को उठाकर एसपी सिटी के आफिस लेकर आ गई। वहां पर मनमोहन से एसपी सिटी ने बातचीत की। उसके बाद मनमोहन को लेकर पुलिस लाइन स्थित आदेश कक्ष में लाया गया। यहां पर मनमोहन ने एसएसपी के सामने पूरे घटनाक्रम को बयां किया। मनमोहन के बयानों को रिकार्ड भी कर लिया गया।
इधर मनमोहन की धरपकड़ की खबर मिलते ही इंस्पेक्टर बिजेंद्र राणा प्रयागराज रवाना हो गए। उन्होंने किसी भी अफसर से प्रयागराज जाने की अनुमति नहीं ली है। बल्कि पुलिस के वाट्सएप ग्रुप पर लिख दिया कि हाईकोर्ट में सीए दाखिल करने के लिए जा रहे हैं, एसएसआइ गौरव राना को चार्ज सुपुर्द कर दिया है, जबकि सीए दाखिल करने के लिए हाईकोर्ट जाने के लिए कप्तान की अनुमति लेनी पड़ती है। इंस्पेक्टर की अचानक से प्रयागराज जाने की घटना को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
रिश्वतखोर हेड कांस्टेबल मनमोहन का बयान -
शक के अंदेशे में ट्रक मालिक व ड्राइवर को बुलाया गया था उसके बाद ट्रक कटान के आरोप खतौली के वकार को भी पुलिस ने थाने बुलाया। एएसपी सूरज राय की मौजूदगी में बयान बातचीत हुई थी सभी पर अभी कोई अपराध नहीं बनता था ऐसे में ट्रक मालिक इमरान व ड्राइवर अब्दुल कलाम को ट्रक ढूंढ कर लाने के निर्देश दिए, जबकि वकार को छोड़ने को कहा। उसके बाद एएसपी राउंड पर निकल गए। तब इंस्पेक्टर ने ट्रक मालिक और ड्राइवर को छोड़ने की एवेज में तीन लाख की रकम वसूली। उसके बाद वकार को छोड़ने के लिए एक लाख की रकम तय हुई । वकार ने 50 हजार की रकम थाने में ही कांस्टेबल मनमोहन को दे दी। मनमोहन ने बताया कि इंस्पेक्टर के आदेश पर वकार से रकम वसूली थी।

Comments
Post a Comment