कैलाश विजयवर्गीय सबसे आगे, राज्य सभा सदस्य बना केन्द्रीय मंत्रिमंडल में किया जा सकता है शामिल ?
उमा भारती के नाम पर भी हो रहा विचार ।
विनोद गोंटिया, ओमप्रकाश धुर्वे, लाल सिंह आर्य, माया सिंह के नाम भी चर्चा में, इंदौर के मेयर रह चुके कृष्ण मुरारी मोघे के साथ कुछ और नेता भी कर रहे कोशिश।
कर्नाटक के राज्यपाल बनाये जाने के बाद केंद्रीय मंत्री रहे थावरचंद गहलोत के इस्तीफे से राज्य सभा की एक सीट खाली हुई थी इस पर निर्वाचन हेतु चुनाव आयोग ने चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी थी, जिसके लिए 4 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। विधानसभा में विधायक संख्याओं के साथ बहुमत को देखते हुए इस सीट पर बीजेपी का जीतना तय ही है, बीजेपी ने अभी तो अपने उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया है परन्तु चर्चा में बंगाल में छ सालों से पार्टी को सशक्त बनाने के साथ विधानसभा चुनावों में अहम भूमिका निभाने वाले राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम सबसे ज्यादा लिया जा रहा है, खंडवा लोकसभा सीट के लिए भी विजयवर्गीय का नाम चला था पर अभी वहां चुनाव की अनिश्चितता के चलते मामला ठंडा पड गया है, वैसे पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और शिवराज सरकार के पूर्व मंत्री तथा वर्तमान में अनुसूचित जाति मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य का नाम भी चल रहा है। संगठन के नेताओं का दबाव भी इसी पर है क्योंकि थावरचंद गहलोत अनुसूचित जाति वर्ग से थे,आधे कार्यकाल के लिए यह सीट इसी वर्ग से ही भरी जाए यदि सत्ता के नेताओं का संगठन के इस दबाव से तालमेल बैठता है तो लाल सिंह आर्य के नाम पर मुहर लग सकती हैं।
उधर पार्टी सूत्रों के अनुसार मोदी कैबिनेट में ऐसे कई नए मंत्री हैं, जो लोकसभा और राज्य सभा, दोनों सदनों के सदस्य नहीं हैं। इसमें से किसी एक को एमपी के कोटे से राज्यसभा सांसद बनाने की संभावना भी है परंतु इस बात को असहमतियों में सहमतता स्वरूप लिया जा सकता है।
ज्ञात हो कि 230 सदस्यीय मध्यप्रदेश विधानसभा में अभी कुल 227 विधायक है जिसमें भारतीय जनता पार्टी याने कि बीजेपी के 125 जबकि कांग्रेस के 95 सदस्य हैं, 4 निर्दलीय, 2 बसपा के और सपा की सदस्य संख्या 1 है। 230 सदस्य सीट वाली विधानसभा में 3 सीटें पृथ्वीपुर, जोबट और रैगांव विधायकों के निधन की वजह से है।
मध्यप्रदेश से राज्यसभा की रिक्त हुई एक सीट के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई हैं, 22 सितंबर तक नामांकन भरे जाने के बाद 27 सितंबर तक नाम वापस लिए जा सकते हैं। यदि एक ही नामांकन रहता है तो 27 को ही निर्विरोध निर्वाचन की घोषणा कर दी जाएगी परंतु यदि मतदान की स्थिति बनती है तो 4 अक्टूबर को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक मतदान होने के पश्चात मतगणना शाम पांच बजे से प्रारंभ होगी। चुनाव की सभी प्रक्रिया समिति कक्ष क्रमांक दो में संपन्न की जावेगी।
कांग्रेस ने विधायक सदस्य संख्या और स्थितियों को देखते हुए यह फैसला लिया है कि इस चुनाव में वह अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी। कांग्रेस का आंकलन है कि यदि उसे निर्दलीय, सपा और बसपा विधायकों का भी समर्थन मिल जाता है तो भी वह चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं है। ऐसी में बीजेपी के खाते में यह सीट जाना निश्चित है। बीजेपी में इसी निश्चितता के चलते नेताओं के नामों की जोर आजमाईश शुरू हो गई है हालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्तर पर नाम की सिफारिश के साथ पार्टी शीर्ष नेतृत्व की लाइन सहमति से ही नाम फाइनल होगा पहले रिक्त सीट पर निर्वाचन के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया का चेहरा सीधे तौर पर सामने था तब सिंधिया की दावेदारी के कारण दूसरे दावेदारों में जोर-आजमाइश नहीं थी परन्तु इस बार अस्पष्टता के चलते अपने अपने स्तर पर कई नेता जुगत में लगे हुए हैं और विनोद गोंटिया, ओमप्रकाश धुर्वे, लाल सिंह आर्य, माया सिंह जैसे नाम सामने आने के अलावा पूर्व सासंद और इंदौर के मेयर रह चुके कृष्ण मुरारी मोघे के साथ कुछ और नेता भी कोशिश कर रहे है लेकिन पार्टी के शीर्ष सूत्रों के अनुसार इन सबके बीच सबसे ज्यादा संभावनाए कैलाश विजयवर्गीय को लेकर ही है, हालांकि उमा भारती का नाम भी चर्चा में है लेकिन प्रबल संभावना ये है कि पिछले 6 सालों से पश्चिम बंगाल में मेहनत कर रहे कैलाश विजयवर्गीय को केंद्रीय नेतृत्व उनकी मेहनत का परिणाम दे सकता है और उन्हें राज्यसभा के जरिए संसद में भेज केंद्रीय मंत्री भी बनाया जा सकता है।

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