एक करोड़ अस्सी लाख का कोविड इलाज, मैक्स अस्पताल का परिजनों को बिल, सरकार से हो रही मैक्स के बिल-आडिट की मांग।
अस्पतालों द्वारा अमानवीय व्यवहार के साथ साथ मानवता और मानवीय संवेदना का गला घोंट देना सामान्य बात हो गई है...?
चिकित्सा क्षेत्र से खत्म हो गया सेवाभाव, "कान्ट्रेक्ट-बेस" पर चलते अस्पताल, "चिकित्सा उद्योग" नामकरण के साथ कमाई के लिए "धंधा" बन गया है चिकित्सा क्षेत्र।
संक्रमण काल में सरकार की तरफ से आईसीयू से लेकर वेंटिलेटर तक के अधिकतम शुल्क निर्धारित किए गए थे।
साकेत दिल्ली के मैक्स अस्पताल में एक व्यक्ति के कोविड इलाज का बिल 1.8 करोड़ रुपये बना उसे भुगतान हेतु उसके परिजनों को कहा गया है. आम आदमी पार्टी मालवीय नगर से विधायक सोमनाथ भारती ने इस मामले में अस्पताल प्रशासन को आड़े हाथों लेकर सोशल साइट्स पर उसकी करतूत पोस्ट की है लगाई है. सोमनाथ भारती के अनुसार कि मरीज़ को मैक्स अस्पताल में अप्रैल 2021 के अंत में भर्ती कराया गया था और सितंबर 2021 की शुरुआत में उसे छुट्टी दी गई थी। उधर मैक्स अस्पताल प्रबंधन अपने बयान में कह रहा है कि कोरोना मरीज के परिवार ने इलाज की फीस को लेकर कभी कोई मुद्दा नहीं उठाया था।
विधायक सोमनाथ भारती ने इस पर ट्वीट किया और कहा, 'आपने किसी अस्पताल को कोरोना के इलाज के लिए शुल्क लेते हुए अधिकतम कितना सुना है ? 25 लाख रुपये ? 50 लाख रुपये ? नहीं, यह 1.8 करोड़ रुपये है!
मैक्स हेल्थकेयर साकेत ने एक पत्नी से अपने पति के लिए यह अविश्वसनीय राशि वसूल की और जब मरीज़ की पत्नी ने छूट मांगने के लिए मेरी मदद ली गयी तो उस पर चिल्लाया गया. "हृदयहीन"
अपने ट्विट में सोमनाथ भारती ने लिखा 'पत्नी ने अपनी सारी बचत खर्च कर दी और संभवतः इस अविश्वसनीय बिल को भरने के लिए मदद ली थी. पति को 28 अप्रैल को मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था और रविवार को डिस्चार्ज कर दिया गया है.'
सबसे पहले तो यहां हम यह बतादे कि मैक्स के अपने कई सारे बिजनेस और धंधे है, मतलब ये कि मैक्स कई धंधों में शामिल है उसी में एक है हास्पिटल मैनेजमेंट एवं आपरेशन। मैक्स ग्रुप द्वारा देश में अलग अलग हिस्सों के कई हास्पिटल को ठेके पर मतलब कान्ट्रेक्ट पर लेकर साल दो साल पांच दस साल तक चलाने का करार किया जाता है अब समझने वाली बात तो यहीं से शुरू हो जाती है कि मैक्स हास्पिटल बिजनेस में है चिकित्सा सेवा में नहीं और वैसे भी विगत दस बारह वर्षो में चिकित्सा बिजनेस में से "सेवा-भाव या मानवीय संवेदना" तो गायब ही हो गई है भरपूर पैसे कमाने का धंधा बन गया है चिकित्सा व्यवसाय, हास्पिटल को इंडस्ट्री मान लिया गया है, खैर इस मामले में मैक्स ने अपनी सफाई में कहा है कि, केस बेहद चुनौतीपूर्ण था क्योंकि रोगी डायबिटीज और हाई बीपी का भी मरीज था और उसके पित्ताशय में संक्रमण, कमजोरी और निचले अंगों में थक्का जमने तथा लीवर की शिथिलता और सेप्सिस के कारण मस्तिष्क के कार्य में कमी जैसी कई जटिलताएं विकसित हो गई थीं पहले ईसीएमओ ट्रीटमेंट दिया गया था हालांकि उन्हें 23 जुलाई को ईसीएमओ से हटा दिया गया था, लेकिन वे 16 अगस्त तक आईसीयू में थे. मरीज लगभग साढ़े चार महीने तक अस्पताल में भर्ती रहा और 6 सितंबर को उसे छुट्टी दे दी गई थी।
मैक्स अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि '51 वर्षीय पुरुष मरीज को 28 अप्रैल, 2021 को मैक्स अस्पताल, साकेत के इमरजेंसी में लाया गया था, जो गंभीर कोविड निमोनिया से पीड़ित थे. उन्हें जल्द ही आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया. 10 मई को ईसीएमओ (एक्स्ट्रा कॉर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन) पर उनके COVID-प्रभावित फेफड़ों को और नुकसान से बचाने के लिए शुरू किया गया. लगभग 75 दिनों तक रोगी को ईसीएमओ पर जागृत अवस्था में रखा गया था।
मैक्स अस्पताल ने अपने आधिकारिक बयान में यह भी कहा है कि 'ईसीएमओ एक उच्च स्तरीय और विशिष्ट तकनीक है, जो देश भर के चुनिंदा अस्पतालों में ही उपलब्ध है और इसका उपयोग केवल गंभीर हृदय/फेफड़ों की क्षति के मामलों में ही किया जाता है. रोगी के परिवार को उसकी चिकित्सा स्थिति से अवगत कराया गया और नियमित रूप से उपचार की लागत के बारे में परामर्श दिया गया. रोगी और उसका परिवार प्राप्त देखभाल और उपचार से संतुष्ट थे और उन्होंने मैक्स की वरिष्ठ चिकित्सकों और कर्मचारियों की टीम की सराहना की है.
विधायक सोमनाथ भारती का कहना है कि एक महिला ने कुछ दिन पहले उनसे मुलाकात की। महिला के पति को कोरोना संक्रमित होने के बाद साकेत मैक्स अस्पताल में भर्ती किया गया था। दूसरी लहर के चलते अस्पतालों में बिस्तर पाना मुश्किल हो रहा था। तब साकेत मैक्स में उपलब्धता के चलते उसे वहां एडमिट किया गया था जिसे रविवार को डिस्चार्ज किया गया, लंबे-चौड़े बिल पर उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से बात की और पाया कि अस्पताल ने मरीज को कई दिनों तक एक्मो थैरेपी दी। खास बात यह है कि नियम के मुताबिक यह थैरेपी किसी मरीज को अधिकतम "21 दिन तक ही देने का प्रावधान है।
विधायक सोमनाथ भारती ने सोशल मीडिया पर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ विरोध जताते हुए अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने सरकार को मरीज के बिल ऑडिट करने का सुझाव दिया है। वहीं कोविड-19 के तहत सरकार द्वारा मूल्य नियंत्रण का पालन किया गया है या नहीं, इसकी भी जांच कराने की मांग की है।
यहां बता दें कि सरकार की तरफ से आईसीयू से लेकर वेंटिलेटर तक के अधिकतम शुल्क निर्धारित किए गए थे।


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