रेडिसन भी बन गया सूर्या- सम्राट...भियाओ के शहर इन्दौर में सब एक लाईन में आ जाते.... (बितला रिये भिया इन्दौरी ठेठ इन्दौरी स्टाईल में)
हां भिया भोत निराली फितरत है इन्दौर की... और इन्दौरियो के जलवे तो क्या बताएं.... हर चीज फिक्स रेहती इनकी और इनकी इसी फिक्सिंग के चक्कर में और कई नयी नयी चीजें भी आ आ को फिक्स होती जाती... इन्दौरी इस ज्ञान के मोहताज नही कि यहां कि प्रसिध्द होटल सूर्या (तात्कालिक), और एम जी रोड़ वाली जिसको अधिकतर एड्रेस बताने के लिए उपयोग मे लाया जाता, होटल सम्राट (सम्राट से आगे, सम्राट के सामने से टर्न मारना या सम्राट के पीछे)...... सेल के लिए फिक्स थी... हर तरौ की बोले तो तरौ तरौ कि सेल लगती थी भिया यां पे,, जूते चप्पल से लगाको हीरे मोती तक की.. डायमंड सेल .... कभी किसी को भी नई शर्ट में भिया देखते तो तुरंत आंखो आंखो में पूछ लेते सम्राट या सूर्या.... वैसे कई और सार्वजनिक सुलभ स्थान भी इन्दौर में सेल के लिए फिक्स है जहां सालभर सेल चलती रहती......क्यों.. कैसे.. काईकी.... इसके चक्कर में नि पडता... घर से ईकलो न खुद देख लो... बात मुद्दे की यां पे ये कि.....
रेडिसन में लगी गारमेंट सेल...... रेडिसन भिया कोई हल्की पतली होटल नि न ही खजूरी बाजार की हुकमचंद धर्मशाला और न ही कोई सरवटे की चेतना लाॅज है... स्टार होटल मानी जाती भिया कई लोगों के लिए तो इन्दौर की पैचान.... पन क्या करे भिया धंधा पैसा जो कराए कम..सुबे सुबे ही विज्ञापन की पैली लाईन पढ़ी.... मुम्बई, दिल्ली, बेंगलुरु चेन्नई के व्यापारियों ने किया परेशान... ....तो अपन या इन्दौर आए तुम्हारे कनैः ... ( ये दूसरी लाईन अपने जेहन में आई भिया) खैर फिर जो पहली लाईन के उपर नजर गई..... "झूठी कहानी झूठे विज्ञापन देकर माल बेचना हमारा काम नहीं" ...... हंस हंस के लोट पोट हो गिया भिया, बाकी पढ ही नि पाया पूरा विज्ञापन.... बस एक सवाल ऐसा लिख के दे रिया भिया भोत दिलदार है ये... पन अपन तो लोट लोट....विज्ञापन आगे दिख ही नि रिया आंसू आ गये हंसते हंसते... जब बाम्बे हास्पिटल बना था ना और उसकी व्यवस्था सुविधाओं सख्ती पर कसीदे गडे जा रहे थे... तबका भाई लोगों का एक कमेंट याद आ गया.... कि भिया साल छ महीने इसको भी एम वाय बनते देर नि लगेगी ये इन्दौरियो की फितरत का शिकार बनेगा जल्द,.... कित्ता ही जोर लगाले भिया पठ्ठो के आगे नही ठैहरेगा.... पन भिया बांबे हास्पिटल तो एम वाय नि बना (हां कहीं कहीं, थोड़ी भोत तो एम वाय जैसी झलक झलकने लगी है बांबे हास्पिटल में) पन ये रैडिसन सूर्या सम्राट जरूर बन गया। भिया एक बात सम्पट नि पड रि कि ये रैडिसन में सेल लगाने और ये अखबारों में फुल फुल पेज के विज्ञापन पे बीस तीस लाख तो खर्चा हो हि गया होऐगा ना.... दो दिन के लिए है सेल.... वैसे इन्दौरी भियाओ की जबरदस्त मांग के कारण ऐसी की सेल एक्सटेंड होते देखी है अपन ने .... पन अपन को क्या यार भिया... अपने जेहन में तो उनकी ब्लू लाईन..... "झूठी कहानी झूठे विज्ञापन देकर माल बेचना हमारा काम नहीं" ..... हसंना मना है... इसके आगे विज्ञापन अपन नि पढ़ पाये आप...... पढ़ सको तो पढ़ो.....


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