खंडवा संसदीय क्षेत्र, यादव और उनके समर्थक क्षत्रपों का खत्म होता प्रभाव, असमंजस में मध्यप्रदेश कांग्रेस आलाकमान।
खंडवा लोकसभा उपचुनाव स्थानीय नेताओं ने बिगाड़ा अरूण यादव का समीकरण, सूबे के समर्थक क्षत्रप हुए कमजोर, प्रदेश संगठन में भी नहीं मिल रही तवज्जो। इंदौर, प्रदीप जोशी। नंदकुमार सिंह चौहान के अवसान के बाद रिक्त हुई खंडवा लोकसभा सीट पर रस्साकशी का दौर अपनी चरम पर है। बात कांग्रेस की करे तो कुछ दिन पहले अरूण यादव का नाम उनके समर्थकों ने खूब जोरशोर से चलाया था। संभावना भी लगभग तय ही मानी जा रही थी मगर कमलनाथ ने पिछले दिनों यह कहते हुए उम्मीदों पर पानी फैर दिया कि अभी कुछ भी तय नहीं हुआ। बहरहाल पीसीसी चीफ का यह बयान बहुत सोची समझी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। इसके पीछे प्रमुख कारण स्थानीय नेताओं का दबाव है जो किसी भी सूरत में अरूण यादव को नहीं चाहते। उधर संगठन के रवैये से नाराज यादव गुरूवार को प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक की मौजूदगी में हुई बैठक में नहीं पहुंचे। दरअसल बीते पांच सालों में खंडवा कि सियासत में खासा बदलाव आ चुका है। इतने सालों में अरूण यादव के समर्थक क्षत्रप जहां कमजोर हुए वही विरोधियों की ताकत में भी खासा इजाफा हुआ है। यहीं कारण है कि खंडवा की चार विधानस...