चबंल के बीहड़ जहां कभी बनते थे बागी और डकैत अब बन रहा जहरीला दूध मावा और पनीर, मुरैना में सिंथेटिक दूध का कारखाना पकड़ा ।
मध्यप्रदेश में चंबल अंचल के मुरैना जिले की सिटी कोतवाली थाने की टीम ने शहर की पुरानी हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में एक गोदाम पर छापामार कार्रवाई की है. पुलिस ने यहां से पॉम आयल और कई खतरनाक केमिकलों के जखीरे के साथ बड़ी मात्रा में नकली दूध बनाने की सामग्री पकड़ी है।
मध्यप्रदेश के चंबल के बीहडों को पहले जहां डकैतों का जन्मदाता कहा जाता था, वही अब चंबल के बीहड से सटे हुए गांवों में ये मौत के सौदागर पैदा हो रहे हैं तथा इनके ये कृत्रिम दूध बनाने के कारखाने फलफूल रहे है।
इस कारवाई के पहले भी 12 नवम्बर 2020 ग्वालियर एसटीएफ की डीएसपी रोशनी ठाकुर व निरीक्षक चेतन सिंह की अगुआई में मुरैना फूड सेफ्टी विभाग व पुलिस ने सुनील उर्फ सोनू अग्रवाल के घर के अलावा दो गोदामों में छापा मारा जहां, कास्टिक पाउडर, हाइड्रोजन परऑक्साइट, मॉल्टो डेक्सट्रिन पाउडर, लिक्विड शेंपू, स्किम्ड मिल्क पाउडर, पारबीड्रॉल जैसे केमिकल मिले। गोदामों में मिला केमिकल सिंथेटिक व मिलावटी दूध बनाने में काम आता था।
एक और डेयरी संचालक अवधेश शर्मा को फूड सेफ्टी विभाग की टीम ने छापामार कार्रवाई करते हुए पकड़ा था। इस डेयरी संचालक के खिलाफ फूड सेफ्टी विभाग के निरीक्षक अनिल प्रताप सिंह परिहार की रिपोर्ट पर पहाड़गढ़ थाने में फूड सेफ्टी व भादसं की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।
विडियो देखने के लिए 👇क्लिक करें
इस तरह की ही विभिन्न कार्यवाहियों के चलते जनवरी में फूड सेफ्टी विभाग की टीम ने पोरसा तहसील के गिदोली गांव मे दो दूध डेयरियों पर छापामार कार्रवाही की थी इस दौरान 5 दूध वाहनों में 5 हजार 500 लीटर दूध मिलावटी ओर सिंथेटिक दूध पकड़ा गया था टीम ने हरेंद्र डेयरी पर दूध की टंकियों से लदे दो लोडिंग वाहन जब्त किए थे इनमें 1500 लीटर सिंथेटिक दूध भरा हुआ था, वहीं दूसरी सिद्धबाबा डेयरी से दूध की टंकियों से लदे दो लोडिंग वाहनों के अलावा एक दूध से भरा हुआ टैंकर भी जब्त किया था, खाद्य विभाग के अधिकारियों ने दूध से भरे पांचों वाहनों को लेकर पोरसा थाने में खड़ा किया गया था छापों की कार्यवाही में शामिल खाद्य सुरक्षा अधिकारी अवनीश गुप्ता के अनुसार सिद्धबाबा डेयरी से 4000 लीटर दूध मिला था।
इसी प्रकार की एक और छापामार कार्यवाही फूड सेफ्टी विभाग की टीम ने ग्राम जेबराखेरा में धर्मेंद्र कुशवाह के घर पर की थी जब टीम उसके घर पहुंची तो घर में चल रही डेयरी से उन्हें केन में भरा हुआ 200 लीटर पनीर का गंदा पानी मिला। कुशवाह ने बताया था कि मैं एक रुपए लीटर में पनीर का खट्टा पानी खरीदकर लाता हूं और इसमे केमिकल, हाइड्रोजन पैराऑक्साइड व अन्य चीजें मिलाकर 20 रुपए में एक लीटर दूध तैयार करता हूं।
यही नहीं कन्या इंटर स्कूल खड़ियाहार से रिटायर और खड़ियाहार निवासी ही दीनदयाल शर्मा के घर खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम पहुंची और जांच जब्ती की कार्यवाही करते 2 कट्टे माल्टोडेक्साट्रिन पाउडर, 1 टिन रिफाइंड पाम ऑइल के साथ 200 लीटर सिंथेटिक दूध जब्त किया था, शर्मा घर की रसोई में सिंथेटिक दूध तैयार करता था।
इन सबसे हटकर तो फूड सेफ्टी विभाग को अंबाह के एक घर में कमल शर्मा नाम का कर्मचारी इलेक्ट्रिक रई से केमिकल मिले सफेद जहर को फेंटते हुए मिला। यहां से 300 लीटर सिंथेटिक दूध के अलावा बड़ी मात्रा में केमिकल, डिटर्जेंट जब्त किया गया था।
ये तो कुछ बानगी है अगर अंचल का पुलिस रिकॉर्ड खंगाला जाए तो पिछले चार पाँच साल में ऐसी कई वारदातों की पुष्टि हो जाएगी।
डकैतों और चंबल के बीहड़ों के लिए पूरे देश में कुख्यात चंबल इलाका अब मिलावटी और सिंथेटिक मावे का गढ़ बन चुका है। भिण्ड-मुरैना के कई गांवों में सिंथेटिक दूध, मावा, पनीर, मक्खन बनाने का कारोबार तो वैसे तो पूरे वर्ष ही चलता है परंतु जैसे ही त्योहार का सीजन आता है, मावा बनाने वाली भट्टियां ज्यादा जलने लगती हैं। यहां से प्रदेश के साथ-साथ उत्तरप्रदेश, राजस्थान, अहमदावाद, गुजरात, दिल्ली, कोलकता, उडीसा, बैंगलोर, समेत कई राज्यों में पनीर और मावा सप्लाई किया जाता है। यहां मावा कारोबारी ज्यादा मुनाफे के लिए नकली मावा और पनीर बड़ी मात्रा में बनाते हैं जिसे वाशिंग पाउडर, रिफाइंट ऑयल सहित दूसरे केमिकल मिलाकर बनाया जाता है तथा
इन लोगों द्वारा सिंथेटिक दूध और इसके उत्पादों की मध्यप्रदेश सहित पडो़सी राज्यों दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में बिक्री की जाती थी।
नकली मावे के चलते अपना कारोबार बंद कर चुके मावा व्यापारी का खुलासा -
भिण्ड जिले के चंबल के किनारे बसे गांव बजरिया निवासी एक मावा व्यापारी दातार सिंह गुर्जर जिसने नकली मावा बनने के कारण अपना कारोवार बंद कर दिया है ने एक वेबसाइट को दिये अपने इन्टरव्यू में बताया कि, त्यौहारों के मौके पर मावा-पनीर की डिमांड बढ़ जाती है, लेकिन दूध के कम उत्पादन के चलते शुद्ध मावा नहीं बनाया जा सकता इसलिए नकली मावा का करोबार बढ़ रहा है। उसने बताया कि नकली मावा बनाने के लिए पहले शुद्ध दूध से क्रीम निकाल ली जाती है। जिसके बाद सिंथेटिक दूध में यूरिया, डिटरजेंट, रिफाइंड और वनस्पति घी मिलाया जाता है। मावा में चिकनाहट लाने के लिए वनस्पति और रिफाइंड को दोबारा मिलाया जाता है तथा मावा को ज्यादा दिन तक सुरक्षित रखने के लिए उसमें शक्कर मिला दी जाती है। यही नहीं सिंथेटिक तरीके से बनाए गए दूध को कई मिल्क कंपनियों को भी सप्लाई किया जाता है। इस दूध से घी व अन्य प्रोडक्ट बनाए जाते हैं। सिंथेटिक दूध बनाने के लिए मात्र 10 ग्राम वॉशिंग पाउडर, 800 एमएल रिफाइंड तेल और मात्र 200 एमएल दूध को आपस में मिलाया जाता है। इसमें पानी भी मिलाया जाता है और एक लीटर दूध से 20 लीटर सिंथेटिक दूध तैयार करते हैं और इसी से मावा भी तैयार हो जाता है। यह मावा तैयार होकर पूरे देश में यानी कोलकाता से लेकर उड़ीसा व चेन्नई तक ट्रेनों व यात्री बसों के माध्यम से भेजा जाता है।
जागो जवाबदारों नहीं तो देश का भविष्य बीमार और अपाहिज हो मर जाएगा।
जो इलाका कभी डकैत गिरोहों के चलते बदनाम था आज जहरीले दूध के लिए कुख्यात हो रहा है हालांकि पुलिस और फूड सेफ्टी विभाग लगातार कार्यवाही कर रहा है परन्तु सिंथेटिक दूध और उससे पनीर तथा मावा बनाने का यह गोरखधंधा रूक नहीं रहा बल्कि और ज्यादा फलफूल रहा है शायद कहीं न कहीं कानून की कुछ धाराओं की कमियों या भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारीयों की मिलीभगत के कारण ये मौत के सौदागर साफ बच निकलते और फिर इस जहर को प्रदेश ही नही देश के आम अवाम के साथ बच्चे बच्चे की रग रग में पहुंचा मौत बांटने के अपने काले काम में जुट जाते हैं, समय रहते अगर सरकार और सरकार में बैठे जवाबदार नहीं जागे तो देश के बच्चे बच्चे के खून में यहीं घातक जहर दौडने लगेगा तथा देश का भविष्य बीमार और अपाहिज हो मर जाएगा।


Comments
Post a Comment