वीरता की प्रतीक ध्वज - पताकाएँ, कितने प्रकार की होती ध्वज पताकाएँ क्या अंतर होता उनमें, पितामह भीष्म, युधिष्ठिर, अभिमन्यु सहित रावण मेघनाद की कैसी थी पताकाएँ जानिए।
वीरता की प्रतीक ध्वज - पताकाएँ
आदिकाल से ही ध्वजा ( झंडा ) पताकाओं का उल्लेख मिलता हैं ।
ध्वजा आठ प्रकार की होती हैं - जया , विजया, भीमा , चपला ,वैजंयंतिका , दिर्धा , विशाला ओर लोला ।
जया पाँच हाथ की , विजया छः हाथ की ओर इसी प्रकार क्रमश एक एक हाथ की लम्बाई बढ़ती जाती हैं ।
ध्वज सपताक भी होता हैं ओर निष्पताक भी । ध्वज मे जो चोकाना या तिकोना कपड़ा बंधा होता हैं , उसे पताका कहते हैं । हिन्दी सब्द सागर के अनुसार ये भी जयंती , अस्टमंगला आदि कई प्रकार की होती है ।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार राजा दशरथ की अयोध्या नगरी मे अनगिनत ध्वज - पताकाए फहराती रहती थी । राजा ओर सेनापति के ध्वज विशेस होते थे जैसे अन्य के नहीं होते थे । रावण की ध्वजा पर मनुष्य की खोपड़ी का चिन्ह था, उसके पुत्र इन्द्रजीत की ध्वजा पर सिंह का चिन्ह था।
महाभारत के योद्धा अर्जुन के रथ की ध्वजा कपिश्रेस्ट हनुमानजी से उपलक्षित थी । अभिमन्यु के रथ में कही कणीकार का चिन्ह एवं कही शाड्ग़ पक्षी का चिन्ह लिखा मिलता है । युधिष्ठिर की ध्वजा पर चंद्रमा ओर ग्रहगण के चिन्ह थे ।
कोरव सेना के सेनापति भीष्मपितामह की ध्वजा पर ताड़ ओर पाँच तारों के चिन्ह बने थे । महाभारत ग्रन्थ से ज्ञात होता हैं की उस काल मे प्रत्येक वीर की अपनी ध्वज पताका होती थी , इस ग्रन्थ मे इसका विस्तार से उल्लेख मिलता है ।
आगे चलकर भारतवर्ष के हिन्दु नरेशों ओर मुस्लिम सुल्तानो में भी यह परम्परा रही है । आइनेअकबरी के अनुसार अकबर के चार प्रकार के ध्वज थे । अलम , चक्तोक , तुमनतोक ओर झंडा ( भारतीय पताका ) थी । सवारी के समय कम से कम पाँच झण्डे रहते थे , महत्वपूर्ण अवसरों पर इनकी संख्या बढ़ जाती थी ।
झंडे सदा रेशमी गिलाफों मे रहते एवं ख़ुशी के जलसों व लड़ाई के मैदान में खोले जाते थे ।
ब्रितानी इतिहासकार कर्नल जेम्स टाड ने भी भारतीय पताकाओं एवं मारवाड़ के पचरंगे झंडे का उल्लेख किया हैं । अंगरेजो के समय मे भारतीय राजाओं के प्रथक प्रथक ध्वज थे । ओर आज तो सारे संसार का हर स्वतन्त्र राष्ट्र अपने ध्वज को सर्वाधिक सम्मान देता हैं ।
भारत में न केवल राजाओं के बल्कि देव मंदिरो की भी अलग अलग ध्वज - पताकाए हैं जिनका अपना विज्ञान ओर आस्था हैं ।
हांलाकि यह बड़ा दिलचस्प विषय हैं जिस पर अभी बहुत शोध करने की आवश्यकता हैं । जब वीर सपूत देश की रक्षा करते बलिदान देता हे तब उसे देश के झंडे मे लपेटा जाता है जो सबसे बड़ा सम्मान होता है जिसके लिए बलिदान देने वाले सपूतों मे भी प्रतिस्पर्धा होती है । इन ध्वज- पताकाओ का बड़ा महत्व है जो केवल वीर होता हैं वही इसकी महत्ता को जान पाता हैं ।
डॉ. महेंद्र सिंह तंवर राजपूत ग्रुप में।

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