शिव तांडव, जटाधारी शिवशंकर भूतभावन भगवान भोलेनाथ को प्रिय रावण की अद्भुत रचना शिव तांडव एक अद्वितीय अद्भुत रोंगटे खड़े कर देने वाले अंदाज में भोजपुर के शिव मन्दिर से।

इन्दौर। सृष्टि के सबसे सरल देवता शिव है इसलिए ही उन्हें भोले भण्डारी भी कहाँ जाता है पंचांक्षरी के जाप से ही प्रसन्न हो मुहं मांगा वर दे देते ये भी सोचे विचारे बगैर की कालांतर में यदि वरदान का दुरूपयोग किया गया तो क्या परिणाम हो  सकते हैं, तभी तो भस्मासुर जैसो के कारण खुद भी संकट में पड़ जाते हैं।

परन्तु ऐसा भी नहीं है कि सृष्टि संहार के देवता इतने भी सरल सहज है, जब रौद्र रूप में आ तीसरा नेत्र खोलते तो प्रलय ही आ जाती है लेकिन अपने भक्तों पर सदैव प्रसन्न रहते शिव भोले, और सबकी भक्ति स्वीकार कर लेते तभी तो रावण जैसे कि भी भक्ति से प्रसन्न होकर उसे अद्भुत वरदान दे डाला था, वैसे भी रावण कोई कम ज्ञानी नहीं था ज्योतिष शास्त्र का ज्ञाता तो उससे बड़ा आज तक न कोई हुआ न होगा और शिव भक्त तो शायद ही इस ब्रह्मांड में उससे बड़ा कोई हो सके, अपने सिर को समर्पित कर भक्ति की थी भोले बाबा कि उसने और भूतभावन भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिव तांडव स्त्रोत की ही रचना कर डाली थी, तो जटाधारी शिवशंकर को प्रिय रावण की अद्भुत रचना शिव तांडव आप भी सुनिये एक अद्वितीय अद्भुत रोंगटे खड़े कर देने वाले अंदाज में भोजपुर के शिव मन्दिर से संत कालीचरण जी के भक्ति तन्मय अंदाज के साथ अलौकिक वाणी में।
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