ब्रह्मकमल, प्रकृति का अनूठा उपहार, खिलता 14 साल में एक बार, हिमालय की वादियों में खिलने वाला ब्रह्म कमल खिला महाराष्ट्र में।
ब्रम्ह कमल प्रायः हिमालय की वादियों में 14 साल में एक बार खिलता है। खिले हुए ब्रह्म कमल को देखना स्वप्न देखने के सदृश है क्योंकि यह सिर्फ रात में खिलता है और सुबह होते ही इसका फूल बंद हो जाता है। कुछ बागवानी के शौकीनों के प्रयास से अब ब्रह्म कमल का पौधा देश के विभिन्न इलाकों में फलित पल्लवित हो रहा और उस पर भी फूल खिलने लगे हैं।
ब्रह्मकमल के पौधे में एक साल में केवल एक बार ही फूल आता है जो कि अर्द्धरात्रि में पूर्ण खिलता है। दुर्लभता के इस गुण के कारण से ब्रह्म कमल को बहुत शुभ माना जाता है। मानता ये भी है कि इसे खिलते समय देख कर कोई कामना की जाए तो अतिशीघ्र पूरी हो जाती है। सफेद रंग का यह फूल देखने में बहुत ही आकर्षक है, इसका उल्लेख कई पौराणिक कहानियों में भी मिलता है। इसे स्वयं सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी का पुष्प माना जाता है। हिमालय की ऊंचाइयों पर मिलने वाला यह पुष्प अपना पौराणिक महत्व भी रखता है। इस फूल के विषय में यह माना जाता है कि मनुष्य की यह इच्छाओं को पूर्ण करता है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार जब पांडव जंगल में वनवास पर थे, तब द्रौपदी भी उनके साथ गई थी। द्रौपदी, कौरवों द्वारा हुए अपने अपमान को भूल नहीं पा रही थी, साथ ही वन की यातनाएं भी मानसिक कष्ट प्रदान कर रही थी।लेकिन जब उन्होंने पानी की लहर में बहते हुए सुनहरे कमल को देखा तो उनके सभी दर्द एक अलग ही खुशी में बदल गए, उन्हें अलग सी आध्यात्मिक ऊर्जा का अहसास हुआ। द्रौपदी ने अपने सबसे अधिक समर्पित पति भीम को उस सुनहरे फूल की खोज के लिए भेजा, इसी खोज के दौरान भीम की मुलाकात हनुमान जी से हुई थी।
ब्रह्म कमल औषधीय गुणों से भी परिपूर्ण है इसे सुखाकर कैंसर रोग की दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इससे निकलने वाले पानी को पीने से थकान मिट जाती है, साथ ही पुरानी खांसी भी काबू हो जाती है। इस फूल की विशेषता यह है कि जब यह खिलता है तो इसमें ब्रह्म देव तथा त्रिशूल की आकृति बन कर उभर आती है। ब्रह्म कमल न तो खरीदा जाना चाहिए और न ही इसे बेचा जाता है। इस पुष्प को देवताओं का प्रिय पुष्प माना गया है और इसमें जादुई प्रभाव भी होता है। इस दुर्लभ पुष्प की प्राप्ति आसानी से नहीं होती। हिमालय में खिलने वाला यह पुष्प देवताओं के आशीर्वाद सरीखा है। इसका खिलना देर रात आरंभ होता है तथा दस से ग्यारह बजे तक यह पूरा खिल जाता है। मध्य रात्रि से इसका बंद होना शुरू हो जाता है और सुबह तक यह मुरझा चुका होता है। इसकी सुगंध प्रिय होती है और इसकी पंखुडिय़ों से टपका जल अमृत समान होता है।
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चौदह वर्ष में एक बार खिलने वाला यह फूल सोलापुर महाराष्ट्र के बार्शी में श्री सत्यनारायण पुरोहित जी के यहाँ खिला और उनकी विशेष अनुमति के साथ ये विडियो आप तक पहुंचा।


ब्रम्हकमल हर वर्ष जून से सितंबर तक खिलता हैं । 17/8/2019 खिला था वर्तमान मे दि 26 व 27/6/2020 को दो खिला अभी 4 फूल ओर खिलने वाले है यह कहना की 12 वर्ष में खिलता है मिथ्या है
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