अंगुली कटा शहीदों में नाम लिखाने वालो के बीच कहीं ये "रियल वारियर्स" उस सम्मान से वंचित ना रह जाए जिसके ये हकदार हैं। ऐसे होते हैं असली हीरो।
सोशल साइट्स फेसबुक और व्हाट्सएप पर कोरोना योद्धा और कोरोना वारियर्स के सर्टिफिकेट धड़ाधड़ पोस्ट हो रहे है, कुकुरमुत्तो की तरह ना जाने कहाँ कहाँ से ना जाने कौन कौन सी संस्थाएं उग आई है मजबूरन कुछ साथियों को लिखना पडा कि जितने कोरोना के पेशेंट नहीं उससे ज्यादा तो कोरोना योद्धा हो गये हैं। लेकिन इन कुकुरमुत्तो की भीड़ में कहीं असली हीरो तो नहीं नेपथ्य में जा रहे , इसलिए हमें सजग और सक्रिय रहते उनकी कहानी बता उन्हे वो सम्मान दिलाया जरूरी है, तो इसी कड़ी में बता रहे एम्स के डाक्टर की कहानी जिन्होंने अपनी जान की परवाह ना करते कोरोना पेशेंट की जान बचाई।
डा़.जाहिद मजीद एम्स के सीनियर डाक्टर हैं एक बेहद गंभीर कोरोना मरीज़ की जान बचाने के लिए इन्होंने एंबुलेंस के अंदर अपनी पीपीई किट हटाकर उसकी सांस की नली ठीक कर दी उन्होंने यदि ऐसा नहीं किया होता ते मरीज को उसी वक्त कार्डिक अरेस्ट हो सकता था और उनकी जान जा सकती थी। डॉ. ज़ाहिद मजीद ने अपने फ़र्ज़ को समझा और उस मरीज़ की जान बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाली इसके बाद वे चौदह दिन तक क्वारंटाइन में भी रहे।
एम्स क्रिटिकल यूनिट के इस जांबाज़ डॉक्टर को कश्मीर से उनके पिता ने फ़ोन कर कहा कि ज़ाहिद अगर तुम्हारी मौत हो जाती है कोरोना से तो मैं शोक नहीं मनाऊंगा, समझूंगा कि मेरा बेटा एक मरीज़ की जान बचाने के लिए शहीद हो गया।
डां. ज़ाहिद ने पिता से कहा- पापा, आज आपने मन से बोझ उतार दिया।
डा. ज़ाहिद जैसे देश के कई और डाक्टरों ने अपनी जान जोखिम में डाल इस महामारी को हराने के लिए हर संभव प्रयास किया है, उन तमाम डाक्टरों को सलाम।


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