300 साल बाद फिर थरथराएंगी दिल्ली ? हिंद महासागर के नीचे भारत-ऑस्ट्रेलिया-कैपरीकॉर्न टेक्टोनिक प्लेट का टूटना, धरती के नीचे स्ट्रेन एनर्जी बढ़ना और 30 दिन में 3 ग्रहण से बन रही बड़े भूकंप की आशंका।
नई दिल्ली। आईआईटी धनबाद के सीस्मोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रमुख पीके खान की रिसर्च के मुताबिक हरिद्वार से लेकर दिल्ली एनसीआर रिज इलाका 8.5 रिक्टर स्केल के किसी बड़े भूकंप का निशाना बन सकता है, उन्होंने आशंका जताई है कि इस भूकंप का केंद्र हिमाचल का कांगड़ा या फिर उत्तराखंड का उत्तरकाशी हो सकता है।
देश में पिछले कुछ दिनों से लगातार भूकंप के झटके आ रहे हैं, जो कि धरती के अंदर किसी बड़ी हलचल का संकेत दे रहे हैं. निकट भविष्य में ये भूचाल के किसी बड़े हादसों का कारण बन सकते हैं।
IIT (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) के शोधकर्ताओं ने आशंका जाहिर की है कि दिल्ली-एनसीआर (Delhi NCR) इलाके में जल्दी ही किसी बड़े भूकंप की आशंका है। विगत कुछ दिनो से हल्के झटके इस आंशका को और पुख्ता करते हैं।
वैज्ञानिकों ने भूकंप सम्भावित क्षेत्रों के पांच सीस्मिक ज़ोन बनाए हैं. जिसमें से जोन-1 में भूकंप आने की आशंका सबसे कम और ज़ोन-5 में सबसे प्रबल रहती है. दिल्ली से थोड़ी दूर स्थित पानीपत इलाक़े के पास भूगर्भ में फॉल्ट लाइन मौजूद है. किसी भी बड़े भूकंप की रेंज 250-350 किलोमीटर तक पहुंचती है।
अंतरिक्ष से मिल रहे है तबाही के संकेत -
भूकंप की आशंका इसलिए भी है क्योंकि इस समय आसमान में सूरज मद्धम पड़ा हुआ है. सोलर मिनिमम का काल चल रहा है. इस दौरान सूरज का चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field) कमजोर हो गया है. जिसकी वजह से सौरमंडल के दूसरे हिस्सों से कॉस्मिक किरणें हमारे सोलर सिस्टम में आ रही हैं. इन कॉस्मिक किरणों की वजह से धरती के भूगर्भ में बदलाव आ रहे हैं. जो बड़े बदलाव का कारण बन रहे हैं।
धरती के अंदर से भी मिल रहे हैं तबाही के संकेत -
एक रिसर्च से पता चला है कि हिंद महासागर के नीचे भारत-ऑस्ट्रेलिया-कैपरीकॉर्न टेक्टोनिक प्लेट धीरे धीरे टूटती जा रही है. जिसकी वजह से बड़ी उथल-पुथल मच सकती है. इसके टूटने की रफ्तार 0.06 यानी 1.7 मिली मीटर प्रतिवर्ष है. शोधकर्ता ऑरेली कॉड्यूरियर ने ये महत्वपूर्ण रिसर्च की है।
इसके अलावा शोधकर्ताओं ने दिल्ली एनसीआर इलाके के पास दिल्ली-हरिद्वार रिज फॉल्ट लाइन की प्लेट में प्रतिवर्ष 44 मिलीमीटर का मूवमेन्ट दर्ज किया है ये पिछले दिनों आए भूकंप के झटकों का कारण बन रहा है, ये मूवमेन्ट संकेत दे रहा है कि किस प्रकार धरती के नीचे स्ट्रेन एनर्जी बढ़ती जा रही है. जो कि आने वाले भविष्य में बड़े भूकंप के झटके का कारण बन सकती है।
धरती और आसमान से मिल रहे इन संकेतों से पता चलता है कि धरती पर जल्दी ही भूकंप तबाही मचा सकता है. इसी के बारे में शोधकर्ताओं ने संकेत दिए हैं, 30 दिन में 3 ग्रहण से भी खगोलीय घटनाओं एवं परिवर्तन के कारण भी रिसर्चर किसी बड़ी भौगोलिक घटना से भारी तबाही के संकेत दे रहे हैं यह भौगोलिक घटना भूकम्प भी हो सकती है।
भूकम्प ने तीन सौ साल पहले दिल्ली में तबाही मचाई थी -
15 जुलाई 1720 को दिल्ली में भयानक भूकंप आया था, इस भूकंप का वर्णन 1883 में प्रकाशित जर्नल 'द ओल्डहैम्स कैटालॉग ऑफ़ इंडियन अर्थक्वेक्स' में मिलता है. उस समय का ये भूकंप रिक्टर पैमान पर 6.5 से 7.0 के बीच का था. जिसकी वजह से वर्तमान पुरानी दिल्ली इलाके में भारी तबाही हुई थी। लेकिन इस बार जो भूकंप की तीव्रता 8.5 रिक्टर स्केल हो सकती है जो भारी तबाही का कारण बनेगी।
देश में पिछले कुछ दिनों से लगातार भूकंप के झटके आ रहे हैं, जो कि धरती के अंदर किसी बड़ी हलचल का संकेत दे रहे हैं. निकट भविष्य में ये भूचाल के किसी बड़े हादसों का कारण बन सकते हैं।
IIT (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) के शोधकर्ताओं ने आशंका जाहिर की है कि दिल्ली-एनसीआर (Delhi NCR) इलाके में जल्दी ही किसी बड़े भूकंप की आशंका है। विगत कुछ दिनो से हल्के झटके इस आंशका को और पुख्ता करते हैं।
पिछले दो सालों में दिल्ली एनसीआर इलाके में 4 से 5 रिक्टर स्केल के लगभग 64 और पांच से ज्यादा रिक्टर स्केल के आठ (8) झटके देखे गए हैं जो यह बताते हैं कि भूगर्भीय ऊर्जा एक जगह संघनित हो रही है. जो किसी बड़े भूचाल का कारण बन सकती है।
दिल्ली-एनसीआर का इलाक़ा सीस्मिक ज़ोन-4 में आता है. यहां धरती के अंदर हलचलें तेज रहती हैं, इस कारण से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उसके आस पास का इलाका गंभीर संकट में है, वैसे तो भारत का लगभग 59% भू-भाग भूकंप सम्भावित क्षेत्र माना जाता है। वैज्ञानिकों ने भूकंप सम्भावित क्षेत्रों के पांच सीस्मिक ज़ोन बनाए हैं. जिसमें से जोन-1 में भूकंप आने की आशंका सबसे कम और ज़ोन-5 में सबसे प्रबल रहती है. दिल्ली से थोड़ी दूर स्थित पानीपत इलाक़े के पास भूगर्भ में फॉल्ट लाइन मौजूद है. किसी भी बड़े भूकंप की रेंज 250-350 किलोमीटर तक पहुंचती है।
अंतरिक्ष से मिल रहे है तबाही के संकेत -
भूकंप की आशंका इसलिए भी है क्योंकि इस समय आसमान में सूरज मद्धम पड़ा हुआ है. सोलर मिनिमम का काल चल रहा है. इस दौरान सूरज का चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field) कमजोर हो गया है. जिसकी वजह से सौरमंडल के दूसरे हिस्सों से कॉस्मिक किरणें हमारे सोलर सिस्टम में आ रही हैं. इन कॉस्मिक किरणों की वजह से धरती के भूगर्भ में बदलाव आ रहे हैं. जो बड़े बदलाव का कारण बन रहे हैं।
धरती के अंदर से भी मिल रहे हैं तबाही के संकेत -
एक रिसर्च से पता चला है कि हिंद महासागर के नीचे भारत-ऑस्ट्रेलिया-कैपरीकॉर्न टेक्टोनिक प्लेट धीरे धीरे टूटती जा रही है. जिसकी वजह से बड़ी उथल-पुथल मच सकती है. इसके टूटने की रफ्तार 0.06 यानी 1.7 मिली मीटर प्रतिवर्ष है. शोधकर्ता ऑरेली कॉड्यूरियर ने ये महत्वपूर्ण रिसर्च की है।
इसके अलावा शोधकर्ताओं ने दिल्ली एनसीआर इलाके के पास दिल्ली-हरिद्वार रिज फॉल्ट लाइन की प्लेट में प्रतिवर्ष 44 मिलीमीटर का मूवमेन्ट दर्ज किया है ये पिछले दिनों आए भूकंप के झटकों का कारण बन रहा है, ये मूवमेन्ट संकेत दे रहा है कि किस प्रकार धरती के नीचे स्ट्रेन एनर्जी बढ़ती जा रही है. जो कि आने वाले भविष्य में बड़े भूकंप के झटके का कारण बन सकती है।
धरती और आसमान से मिल रहे इन संकेतों से पता चलता है कि धरती पर जल्दी ही भूकंप तबाही मचा सकता है. इसी के बारे में शोधकर्ताओं ने संकेत दिए हैं, 30 दिन में 3 ग्रहण से भी खगोलीय घटनाओं एवं परिवर्तन के कारण भी रिसर्चर किसी बड़ी भौगोलिक घटना से भारी तबाही के संकेत दे रहे हैं यह भौगोलिक घटना भूकम्प भी हो सकती है।
भूकम्प ने तीन सौ साल पहले दिल्ली में तबाही मचाई थी -
15 जुलाई 1720 को दिल्ली में भयानक भूकंप आया था, इस भूकंप का वर्णन 1883 में प्रकाशित जर्नल 'द ओल्डहैम्स कैटालॉग ऑफ़ इंडियन अर्थक्वेक्स' में मिलता है. उस समय का ये भूकंप रिक्टर पैमान पर 6.5 से 7.0 के बीच का था. जिसकी वजह से वर्तमान पुरानी दिल्ली इलाके में भारी तबाही हुई थी। लेकिन इस बार जो भूकंप की तीव्रता 8.5 रिक्टर स्केल हो सकती है जो भारी तबाही का कारण बनेगी।

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