भास्कर का प्रकाशन बंद, डीएम ने किया घोषणा पत्र रद्द, नहीं कर पाऐगें भास्कर का मुद्ण, प्रेस को दिया अखबार न छापने का निर्देश।सम्पादक मुद्रक के खिलाफ हुई एफआईआर।

लखनऊ। एसडीएम ने आदेश जारी कर भास्कर का घोषणा पत्र रद्द कर दिया साथ ही प्रिंटिंग प्रेस को भास्कर अखबार के मुद्रण नहीं करने हेतु निर्देशित भी किया गया है (देखिये चित्र आदेश का) इस तरह एक बार फिर भास्कर मीडिया जगत की सुर्खियों में आ गया क्योंकि अब संपादक और मुद्रक प्रकाशक के खिलाफ एफ आई आर मतलब पुलिस रिपोर्ट और कार्यवाही का खेल शुरू हो चुका है। 


ज्ञात हो कि भास्कर में कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री का फर्जी इंटरव्यू छापा गया था, मतलब प्रधानमंत्री का इंटरव्यू लिया ही नहीं और छाप दिया जिसके लिए भास्कर को कटघरे में खड़ा किया गया था, नोटिस भी जारी हुए भास्कर की तरफ से इन्टरव्यू आर्गेनाइज करने वाले पत्रकार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का भी बयान आया था उसके बाद अभी  उज्जैन में बकरियों के लिए ले जा रहे अनाज को बच्ची के हाथों सड़क पर गिरवाकर फिर समेटने का फोटो ले लाॅकडाउन त्रासदी के रूप में छापने से भी भास्कर की बहुत थू थू हुई थी
यही नहीं विगत दिनों अखबारो की पीडीएफ फाइल को व्हाट्सएप ग्रुप में शेयर करने को लेकर छापी गई खबर के कारण भी भास्कर को सोशल साइट्स पर खूब खरी खोटी सुनाई गई उसकी इमेज गिरी और लोगों ने पीडीएफ फाइल शेयर करना ही बंद कर दिया है
अब यह वाराणसी भास्कर के घोषणा पत्र रद्द होने की खबर के साथ संपादक मुद्रक के बीच पुलिस कार्यवाही की खबर आ रही है।
भास्कर का वाराणसी संस्करण अपने शुरुआत से ही विवादित रहा है बल्कि यूं कहें कि शुरू होने के पहले विवादित हो चुका था पहले तो इसके उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुलाने की जोर शोर से चर्चा /तैयारी चली आमंत्रण पत्र भी प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखे गए और समय मांगा गया परंतु प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा शायद कुछ "अंदरूनी रिपोर्ट" कंफर्म के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से समय नहीं देते उस उद्घाटन कार्यक्रम कोई नकार दिया गया, प्रधानमंत्री के भास्कर के वाराणसी संस्करण का उद्घाटन कार्यक्रम तो हुआ ही नहीं परंतु उसके नाम पर वसूली और लाखों के घपलों घोटालों की चर्चा चल पड़ी, जिसकी झलक इस एफआईआर में भी झलकती नजर आ रही है।
लाखों रुपय विज्ञापन दाताओं एजेंटों से विज्ञापन एवं एजेंसी के नाम से लेने एवं डिपॉजिट करने के बाद उन्हें लखनऊ ऑफिस से संपर्क का व्हाट्सएप मैसेज भेजना अब यू पी भास्कर की साख पर बट्टा ही साबित हो रहा है क्योंकि एजेंट एवं विज्ञापनदाताओं को लखनऊ ऑफिस द्वारा कोई समाधान परक जवाब नहीं दिए जाने और नोएडा ऑफिस संपर्क करने का कहा जा रहा है।


इधर वाराणसी संस्करण के स्थानीय संपादक जो अब एक अन्य अखबार हिन्द भास्कर के सम्पादक है डां वरूण उपाध्याय द्वारा भास्कर के सम्पादक दीपक द्विवेदी और प्रकाशक मुद्रक लल्लन मिश्रा पर स्थानीय लंका थाने में एफ आई आर दर्ज करवा दी गई है उसमें भी स्पष्ट रूप से पैसों का लेनदेन धोखाधड़ी मुख्य कारण बताया गया है।


हिंद भास्कर के प्रधान संपादक डॉ वरुण उपाध्याय की शिकायत पर लंका पुलिस ने दैनिक भास्कर के कथित मालिक दीपक द्विवेदी के साथ मुद्रक एवं प्रकाशक लल्लन मिश्रा के खिलाफ धारा 419,420,467,471 एवं 406 आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है ।
वहीं लल्लन मिश्रा द्वारा बताया गया है कि कोरोना लाॅकडाउन भास्कर वाराणसी संस्करण बंद करने का कारण है, इस हेतु ही उन्होंने एडीएम को पत्र द्वारा सूचित किया था।


कुछ भी हो बहरहाल भास्कर के लखनऊ वाराणसी और नोएडा के बीच का यह आपसी द्वंद पत्रकारिता जगत में कोरोना संक्रमण की त्रासद खबरों के बीच चटपटी चुटकी बना हुआ है।




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