कोरोना का खौफ - मरने वाले पांच में से एक को कोई बीमारी नहीं. कलेक्टर द्वारा गठित टीम की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा, कोरोना पीड़ित 63 घन्टे में जबकि अन्य 37 घन्टे में ही मर जाते हैं।

भोपाल। कोरोनावायरस के कारण मौत के बढ़ते आंकड़े को देखकर कलेक्टर के निर्देश पर गठित टीम ने चौंकाने वाली रिपोर्ट पेश की है, रिपोर्ट में यह आश्चर्यजनक खुलासा किया गया है कि मरने वाले पांच में से एक व्यक्ति में कोई बीमारी ही नहीं थी।

दरअसल में कोरोना से हुई मौत का ऑडिट करने के लिये कलेक्टर के निर्देश पर तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया था। इस टीम को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हुई मौत के कारणों की जांच कर सरकार को रिपोर्ट सौंपने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
रिपोर्ट के मुताबिक बिना किसी बीमारी के जो मरीज अस्पताल में एडमिट हैं, वो भर्ती होने के 37 घंटे के बाद दम तोड़ते जा रहे हैं। जो मरीज कोरोना पॉजिटिव हैं उनकी अस्पताल में भर्ती होने के 63 घंटे के अंदर मौत हो जा रही है।
ऑडिट की रिपोर्ट के हिसाब से जिन में कोई बीमारी नहीं है उन्हें भी कोरोना से बचकर रहने की जरूरत बताई गई है। ऑडिट की रिपोर्ट में बताया गया है जिनमें कोई बीमारी नहीं है उन्हें वायरस लगने के पांचवे दिन हॉस्पिटलाइज कराया गया।
ऑडिट के नतीजों से पता चलता है कि जिन कोरोना संक्रमित मरीजों में पहले से कोई बीमारी थी या कोई मेडिकल समस्या चल रही थी वो लोग अस्पताल में भर्ती होने के लगभग 63 घंटे के अंदर हौसला हार गए।

तीन घंटे के अंदर 23 फीसदी मृत घोषित -
स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि अस्पताल में भर्ती होने के तीन घंटे के अंदर 23 फीसदी मरीजों को मृत घोषित कर दिया गया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मानें तो ये ऑडिट बताता है कि जिन लोगों को पहले से कोई बीमारी नहीं है, उन्हें भी कोरोनावायरस के लक्षणों के प्रति काफी सतर्क रहने की जरूरत है।
कम्युनिटी और फैसिलिटी स्तर पर हुआ ऑडिट -
भोपाल में कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत का ऑडिट कम्युनिटी और फैसिलिटी स्तर पर किया गया। कम्युनिटी स्तर पर जहां मृतकों की ट्रैवल हिस्ट्री से लेकर उनकी फैमिली डिटेलिंग तक तलाशी गई है। वहीं फैसिलिटी स्तर पर मृतकों के इलाज का फीडबैक अस्पताल मैनेजमेंट से लिया गया है।
ऑडिट में डायबिटीज के मरीजों की संख्या ज्यादा मिली है। ऑडिट में ये भी पता चला है कि 20 प्रतिशत मामलों में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और हाइपरटेंशन पाया गया है। 17 मृतकों की मौत 4 मई से 10 मई के बीच बताई गई थी। इसमें आधे मरीजों की मौत का विश्लेषण किया गया है। अप्रैल से मई मध्य तक कुल मौतों का विश्लेषण किया गया था।
हर व्यक्ति को सावधानी बरतना जरूरी -
फैसिलिटी स्तर पर ऑडिट में ये पाया गया कि अस्पताल में रहने की अवधि भी मौत के कारणों में महत्वपूर्ण घटक है, अस्पताल में भर्ती होने के 48 घंटों के भीतर लगभग 76 प्रतिशत लोग यानी कुल संक्रमितों में से दो-तिहाई मरीजों की मौत हो गई।
कुल मौत के आंकड़ों में से 55 प्रतिशत की मृत्यु अस्पताल में भर्ती होने के 24 घंटों के अंदर हो गई। कोरोना संक्रमित रोगियों की ऑडिट रिपोर्ट उन लोगों के लिए वेक अप अलार्म है जो ये सोच रहे हैं कि अगर उन्हें कोई बीमारी नहीं है तो वो सुरक्षित हैं। शहर में संक्रमण की चेन इस कदर हावी है कि वायरस कम्युनिटी स्प्रेड के जरिए तेजी से फैल रहा है। ऐसे में किसी भी व्यक्ति को बीमारी हो या नहीं हो दोनों ही परिस्थितियों में लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है और कोरोना संक्रमण से अपना बचाव करने की जरूरत है।
मृतकों कई तरह की बीमारी -
कोरोनावायरस ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार दो मरीजों को अस्थमा था, 34 में से 12 को हाई बीपी था, तीन में ऑन्कोलॉजिकल स्थितियां थीं, दो में उम्र संबंधित मुद्दे थे, सात को क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज थी, एक व्यक्ति को टीबी था, एक में न्यूरोलॉजिकल मुद्दे थे और तीन मामलों में हृदय संबंधी समस्याएं थीं।
चित्र प्रतीकात्मक

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