कौन बनेगा मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री, भाजपा में शुरू हुई मुख्यमंत्री पद के लिए जोड़तोड़,शिवराज सिंह चौहान , नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, नरोत्तम मिश्रा अन्तिम चार में।

 भोपाल। प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपना स्तीफा महामहिम राज्यपाल को सौप दिया है। भाजपा में नई सरकार के गठन की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। भाजपा सरकार का नेतृत्व कौन करेगा, इसे लेकर खींचतान शुरू हो गई है। 

फिलहाल सारे मोर्चो पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नेतृत्व कर रहे थे, लेकिन अगला सीएम कौन होगा, इसे लेकर भाजपा नेतृत्व ने पत्ते नहीं खोले हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि नेतृत्व का फैसला हाईकमान ही करेगा।
संभावित भाजपा सरकार में मंत्री पद के लिए भी दावेदारों के बीच जोर-आजमाइश शुरू हो जाएगी। सिंधिया गुट के जिन 22 विधायकों ने इस्तीफे दिए हैं, उनमें से भी कुछ को मंत्री बनाया जा सकता है। हालांकि उन्हें छह माह में विधानसभा उपचुनाव जीतना होगा, तभी मंत्री पद कायम रह सकेगा। 
पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कांग्रेस का दामन छोड़ने के बाद ये तो तय माना जा रहा था कि अब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनेगी।
शिवराज सिंह, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, नरोत्तम मिश्रा अन्तिम चार में - 
भाजपा की तरफ से अभी मुख्यमंत्री पद के चार दावेदार सक्रिय हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को तो सीएम पद का दावेदार माना ही जा रहा है। 13 साल तक प्रदेश की बागडोर संभालने वाले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चौथी बार भी मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल सकता है। कयास ये भी लगाए जा रहे है कि केंद्रीय नेतृत्व की ओर से नरेंद्र सिंह तोमर को भी भेजा जा सकता है। उसका प्रमुख कारण है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में चम्बल संभाग से नरेंद्र सिंह तोमर केंद्रीय मंत्री हैं और ज्योतिरादित्य सिंधिया को केंद्रीय मंत्रिमंडल में लेने के बाद चम्बल संभाग से दो मंत्री हो जायेंगे। इसलिए नरेंद्र सिंह तोमर के नाम पर सभी नेताओं की सहमति बनी हुई हैं।
प्रदेश की जनता ने "माई के लाल" वाले भाषण के कारण ही शिवराज सिंह को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया था। प्रदेश की जनता को नया चेहरा या नया मुख्यमंत्री चाहिए। प्रदेश की जनता शिवराज सिंह चौहान के भाषण सुनकर ऊब चुकी हैं जनता नया मुख्यमंत्री चाहती है वहीं शिवराज सिंह का नाम व्यापमं घोटाले में होने के कारण भाजपा हाईकमान तोमर के नाम पर सहमति दे सकता है।
उधर संगठन व जोड़तोड़ में माहिर कैलाश विजयवर्गीय जो अमित शाह की पसंद के नेता है व  पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी सीएम की दौड़ में शामिल हैं।
लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि जिस तरह से भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पार्टी में अब तक सभी मोर्चो में आगे किया हुआ है, उसी तरह सरकार बनने पर प्रदेश की कमान भी उन्हें सौंपी जा सकती है। यदि ऐसा हुआ तो चौहान प्रदेश में चौथी बार मुख्यमंत्री बनने वाले पहले राजनेता होंगे। 
चौहान को सीएम की दावेदारी में पहले स्थान पर रखने वालों का दावा है कि प्रदेश में बड़ी तादाद में उपचुनाव होना है, ऐसी परिस्थितियों में चौहान ही उपचुनाव में विजय दिलवा सकते हैं।
उधर नरेंद्र सिंह तोमर मोदी सरकार में लंबे समय से केंद्रीय मंत्री पद संभाल रहे उनको भी मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल सकता है। तोमर पहले भी प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। वे दो बार भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष की कमान भी संभाल चुके हैं। कार्यकर्ताओं और विधायकों से भी तोमर का गहरा नाता है। जहां आगे उपचुनाव होना हैं, उनमें से अधिकांश सीटें ग्वालियर-चंबल अंचल की हैं। तोमर भी इसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए पार्टी उन पर भी दांव लगा सकती है।
भारतीय जनता पार्टी में संकटमोचक नरोत्तम मिश्रा कुशल प्रशासक व संगठक की भूमिका अदा करते रहे हैं, भाजपा सरकार के दौरान लंबे समय तक संकटमोचक की जिम्मेदारी निभाने वाले पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल हैं। मिश्रा पहले भी भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष और मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में शामिल रहे हैं। अब मुख्यमंत्री की दौड़ में भी शामिल हैं। 
नरोत्तम मिश्रा भी राजनीति के चाणक्य कहे जाते है दुश्मन को अपना बनाना औऱ रूठे हुए को मनाने की कला में माहिर हैं और कुशल संघटक हैं। प्रदेश की जनता व भाजपा के विधायको के बीच काफ़ी लोकप्रिय होने के कारण तथा अच्छे वक्ता भी होने के कारण केंद्रीय नेतृत्व की पसंद भी हैं। 
कुछ समय पहले तक नरोत्तम मिश्रा और शिवराज सिंह चौहान के बीच गहरे मतभेद रहे हैं, लेकिन सरकार के लिए जोड़-तोड़ के दौरान दोनों नेताओं के बीच अघोषित समझौता हो गया। 
सूत्रों के मुताबिक चुनाव के बाद भी शिवराज ने नरोत्तम के नाम का विरोध किया था और इसी वजह से नेता प्रतिपक्ष का पद गोपाल भार्गव को दिया गया। मिश्रा का नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए भी प्रस्तावित था, लेकिन ऐसा प्रचारित हुआ था कि वहां भी शिवराज ने टांग अड़ाई थी। 

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