एक लाख छिद्र है लक्षलिंग लक्ष्‍मणेश्‍वर महादेव में, पाताल तक है मार्ग, रामायण काल में स्वंय लक्ष्मण जी ने की थी स्थापना।


अद्भुत शिवलिंग लक्ष्‍मणेश्‍वर महादेव के बारे मे जाने ।।
लक्ष्‍मण जी ने की थी इसकी स्‍थापना ।।
शिवलिंग मे है एक लाख छिद्र ।।
पाताल लोक तक है मार्ग ऐसी मान्‍यता ।।

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रायपुर से 120 कि मी दूर और शिवरीनारायण के पास रामायणकालीन अति प्राचीन लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर हैं। इस मंदिर में भगवान शिव का लिंग है, जिसमें एक लाख छिद्र हैं, इस कारण इसे लक्षलिंग कहा जाता है, इसमें से एक छिद्र पातालगामी हैं, जिसमें कितना भी पानी डाला जाए, उतना ही समाहित हो जाता है, छिद्र के बारे में कहा जाता है कि इसका रास्ता पाताल की ओर जाता है।

इसके निर्माण की कथा यह है कि रावण का वध करने के बाद श्रीराम को ब्रह्म हत्या का पाप लगा, क्योंकि रावण एक ब्राह्मण था। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए श्रीराम और लक्ष्मण रामेश्वर लिंग की स्थापना करते हैं। शिव लिंग अभिषेक के लिए लक्ष्मण सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों से जल एकत्रित करने हेतु जाते हैं।इस दौरान वे गुप्त तीर्थ शिवरीनारायण से जल लेकर निकलते समय रोगग्रस्त हो गए। रोग से छुटकारा पाने के लिए लक्ष्मण जी ने शिव जी की आराधना की, इससे प्रसन्न होकर शिवजी ने दर्शन दिये और लक्षलिंग रूप में विराजमान होकर लक्ष्मण को पूजा करने के लिए कहा। लक्ष्मण शिवलिंग की पूजा करने के बाद रोग मुक्त हो जाते हैं और ब्रह्म हत्या के पाप से भी मुक्ति पाते हैं, इस कारण यह शिवलिंग लक्ष्मणेश्वर के नाम से भी प्रसिद्ध है ।

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