इस "आशीर्वाद" से कई चमकते सितारें जमीं पर आये। क्या वो "आशीर्वाद" मनहूस था या फिल्म इन्डस्ट्री का वहम ?
भारत भूषण से शुरू राजेश खन्ना पर खत्म कहानी।
भारत भूषण ने जिसके 15 हजार दिये अक्षय कुमार ने उसके 150 करोड़ लिए।
भारत भूषण फिल्मों को प्रोड्यूस करने लगे "बरसात की रात" जैसी सुपर हिट फ़िल्म बनाई....... फिर अगली दो-चार फिल्में नहीं चली, सितारे गर्दिश में आ गए....... .घाटा हुआ तो क़र्ज़ों के बोझ से दबे ..... जमा पूंजी बेच कर कुछ क़र्ज़े चुकाए कुछ बाकी रहे तो नौबत बंगला बेचने की आ गई ..उन दिनों फिल्मी आकाश पर एक और सितारा तेज़ी से उभर रहा था "राजेन्द्र कुमार" ..एक से एक हिट फिल्म दे रहा था.. हर फिल्म सिल्वर जुबली गोल्डन जुबली मना रही थी... प्रशंसकों ने जुबली कुमार का नाम दे दिया था... राजेन्द्र कुमार का सितारा बुलंदी पर था तब उन्होंने ये बंगला (आशीर्वाद) भारत भूषण से 25 हज़ार में ले लिया..उन दिनों 25 हज़ार बहुत बड़ी रक़म हुआ करती थी..राजेन्द्र कुमार ने उस बंगले का नाम 'डिंपल" रखा जो उनकी बेटी का ही नाम है..बंगले में आने के बाद राजेन्द्र कुमार सफलता की सीढ़ियां चढ़ते ही गए......फिल्मी दुनिया में प्रशंसकों का भरपूर आशीर्वाद मिल रहा था उन्हें भी.... परन्तु राजेन्द्र कुमार का भी सितारा मद्धम हुआ क्योंकि एक और बड़ा स्टार फ़िल्मी दुनिया के आसमान में जगमगाने लगा था.... ..नाम था.... "राजेश खन्ना" .......... भारतीय फिल्म इन्डस्ट्री का पहला सुपर स्टार.... बदल के रख दी जिसनें फिल्म इन्डस्ट्री की परम्परागत चाल..... .राजेश खन्ना को ये बंगला बड़ा पसंद था पर राजेन्द्र कुमार उसे बेचने को तैयार नहीं थे.......... लेकिन राजेन्द्र कुमार को पैसों की ज़रूरत...... गर्दिश में गुजर रहे उनके दिन ..उन्होंने राजेश खन्ना को अप्रोच किया लेकिन कीमत इतनीं मांगी कि राजेश खन्ना जैसे सुपर स्टार के भी बस के बाहर...... ..कीमत लगाई 10 लाख रुपये.......... राजेश खन्ना सुपर स्टार स्टार ज़रूर थे लेकिन मेहनताना इतना नहीं मिलता था कि एक साथ पेमेंट कर सकें........ राजेश खन्ना को ये बंगला अपने हाथ से फिसलता नज़र आया...दिल डूब रहा था राजेश खन्ना का बहुत चाहत थी इस बंगले को खरीदने की दिल में ..... तभी एक और दिलचस्प वाक़या हुआ....... दक्षिण भारत के सबसे सफल फ़िल्म प्रोड्यूसर चिनप्पा देवर साहब हिंदी में एक फ़िल्म राजेश खन्ना साहब को लेकर बनाना चाह रहे थे...... राजेश खन्ना बिज़ी थे अन्य फिल्मों में इसलिए वो इसे करने में इसलिए तारीख नहीं दे पा रहे थे .. लेकिन चिनप्पा देवर जिद पर थे कि हिन्दी फिल्म राजेश खन्ना को लेकर ही बनाऐगें...... .. राजेश खन्ना ने आख़िर उन्हें टालने के लिए भारी भरकम रकम मांग की....... 10 लाख रुपये..
चिनप्पा देवर हैरान.... उस समय कोई भी बड़ा एक्टर 2 से 3 लाख ही लिया करता था राजेश खन्ना ने एक साथ 10 लाख मांगे..और साथ में ये कह दिया कि सारे पैसे एडवांस ही चाहिए क्योंकि मुझे एक बंगला खरीदना है..चिनप्पा देवर ने सारी बात जानी और एक साथ 10 लाख रुपये थमा दिये राजेश खन्ना को..और फ़िल्म शुरू हुई जो सुपर डुपर हिट साबित हुई... फ़िल्म थी 'हाथी मेरे साथी' ...तहलका मचा दिया उस फिल्म ने... टाकीजो से उतरने का नाम ही नहीं ले रही जनता हे कि देखना ही नहीं छोड रही पच्चीसवें हफ्ते में भी टिकट ब्लेक हो रहे..... उधर हाथी मेरे साथी चल रही इधर राजेश खन्ना "आशीर्वाद" में आ गये अब राजेश खन्ना इस बंगले के मालिक थे..लेकिन राजेन्द्र कुमार ने इस शर्त पर बंगला दिया कि इसका नाम आप कोई और रखेंगे डिंपल नहीं..राजेन्द्र कुमार ने एक अन्य बंगला बनाया और उसे यही नाम दुबारा दिया डिम्पल..... ..राजेश खन्ना फौरन मान गए और उन्होंने अपने इस बंगले के नाम रखा "आशीर्वाद"
लेकिन ये आशीर्वाद राजेश खन्ना को ज्यादा फला नहीं इसके लेने के दो-तीन सालों में ही राजेश खन्ना का कैरियर नीचे आता गया..शादी हुई इसी बंगले में लेकिन वो भी ज्यादा सफल नहीं रही..जिसका नतीजा अलहदगी हो गयी राजेश खन्ना और डिंपल के बीच...... सुपर स्टार राजेश खन्ना इस बंगले में आने के बाद फिर कभी उस ऊंचाई तक नहीं पहुंच सके जहां वो पहले थे.......
धीरे-धीरे वे भी गर्दिश में डूबते गए और आख़िर में मरने के बाद अपनी वसीयत में ये बंगला अपनी बेटियों के नाम कर गए तो उन्होंने इसे बेच दिया और आधा-आधा पैसा बांट लिया..
आशीर्वाद बंगला बिका 150 करोड़ रुपये में..
और भारत भूषण......
जिन्होंने यह बंगला बनवाया था..वो जीवन के आख़िरी सफ़र तक एक चालं (झोपड़पट्टी) में ही रहते थे और बसों में सफर करते रहे और बस से गुजरते हुए उस बंगले को देखा करते जो कभी उनका अपना था............
इक बंगला जो बना कई सितारों के अर्श से फर्श पर आने का गवाह।

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