इन्दौर की गेर, गैरों को भी अपना बनाते, रंगपंचमी पर निकलने वाली जिसमें कोई नहीं होता गैर...
इन्दौर में गैरों को भी अपना बनाते, रंगपंचमी पर निकलने वाली विश्व प्रसिद्ध गेर, जिसमें कोई नहीं होता गैर....... इंदौर में होली के बाद पांचवें दिन रंगपंचमी पर निकलने वाली गेर की चर्चा देश ही नहीं विदेशों में भी है इन्दौरी गेर की यह परम्परा होलकर काल से शुरू हुई मानी जाती है जब होलकर राजवंश के लोग धुलेंडी या रंगपंचमी पर जनता के साथ होली खेलने के लिए सड़कों पर निकलते थे और फिर जुलूस की शक्ल में पूरे शहर में घूमते शहरवासियों के साथ होली खेलते थे उस समय उनके जुलूस में रथ बग्गी हाथी घोड़े नगाड़े हुआ करते थे समय के साथ राजे रजवाड़ों के खत्म होने के बाद भी इन्दौरियो ने उस परम्परा को अपने दिल में बसा गेर समितियां बना उनके सानिध्य में परम्परागत रूप में ही गेर निकालना शुरू किया....... देखिए विडियो 👇क्लिक कर बस हाथी घोड़े की जगह ट्रक टैंकर ट्रालियों ने ले ली है लेकिन जुलूस हुजूम का रूप वैसा ही है आज भी रंगपंचमी की गेर में आम अवाम जाति धर्म ऊंची नीच भूल कर समान रूप से हुरियाते शामिल होते हैं जहां से गेर निकलती है वहां जमीन से आसमान तक सब कुछ सतरंगी हो जाता है गेर ऐसा र...