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कालभैरव के अष्ट रूप परिचय उनकी पूजा विधि और उन्हें प्रसन्न करने के उपाय।

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 काल भैरव के बावन रूप है अर्थात उनको 52 रूपों में पूजा जाता है कहीं कहीं बहत्तर की मान्यता है वे 72 रूपों में पूजते हैं, लेकिन अधिकांशतः अष्ट भैरव को ही अपनी आराधना साधना में शामिल करते हैं, आज भैरव अष्टमी है और भैरव अष्टमी को काल भैरव के अवतार दिवस के रूप में मान्य किया गया है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने कालभैरव का अवतार लिया था। इसलिए इस पर्व को कालभैरव जयंती को रूप में मनाया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 16 नवंबर, बुधवार को है। भगवान कालभैरव को तंत्र का देवता माना गया है। तंत्र शास्त्र के अनुसार,किसी भी सिद्धि के लिए भैरव की पूजा अनिवार्य है। इनकी कृपा के बिना तंत्र साधना अधूरी रहती है। इनकी कृपा प्राप्त करके भक्त निर्भय और सभी कष्टों से मुक्त हो जाते हैं। भैरव अष्टमी पर्व भगवान भैरव और उनके सभी रूपों के समर्पित होता है। भगवान भैरव को भगवान शिव का ही एक रूप माना जाता है, भगवान भैरव के मुख्य 8 रूप माने जाते हैं। उन रूपों की पूजा करने से भगवान अपने सभी भक्तों की रक्षा करते...