मनमानी के मदिरालय, पांच बजे खुल जाती दुकान पीने वालों की पौ बारह, आबकारी नीतियों का खुला उल्लंघन।
मदिरालय जाने को घर से कब निकले पीनेवाला.... 'कितने बजे वो खुलेगी? असमंजस में है वह भोलाभाला.... अलग-अलग समय बतलाते सब पर मैं यह बतलाता ... जब तू पहुंचे खुली ही मिलेगी मिल एरिया की मधुशाला.... मधुशाला से आज भी कई "लबो" पर जिंदा परम आदरणीय श्रद्धेय हरिवंशराय बच्चन जी की उसी "मधुशाला" की एक रूबाई आज उस समय कुछ यूं कहने को मन हो गया जब वरिष्ठ साथी और न्यूज रूम ग्रुप के एडमिन निखिल गुप्ता ने कुछ विडियो शेयर करते सवाल उठाया कि ये क्या हो रहा है .... सुबह चार बजे से मदिरा प्रेमी जिन्हें इन्दौर पुलिस के आपरेशन "नशे पर वार" के चलते अब "प्रकाशनों" में भी नशेड़ी नाम दिया जाने लगा, की आमद शुरू, साढ़े चार बजे से हिलते हिलाते क्रमबद्ध हों एक सीधी लाइन में और पांच बजते बजते अपनी हाला अपनी प्याला में मस्त हो रहा पीने वाला। जी हां इस कड़कड़ाती ठंड में जब पारा सामान्य से छ से आठ डिग्री तक नीचे गिर रहा तब तड़के साढ़े चार बजे बाद किसी भी समय मालवा मिल कलाली का शटर कभी भी उपर हो सकता है, वैसे भी मालवा मिल कलाली मनमर्जी की कलाली है विगत आबकारी विभाग के सबसे बड...